कश्मीर फाइंडिंग मर्डर में आतंकी यासीन मलिक भी शामिल था: 34 साल पुराने कश्मीरी जज मर्डर केस की फाइल खुली, 6 और केस खुलेंगे

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श्रीनगर2 मिनट पहलेलेखक: हारून रशीद

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कश्मीर में हिंसा के शुरुआती दौर में निर्दोष लोगों की हत्या में अब इंसाफ की उम्मीद जागी है। जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के आतंकियों ने 1989 में श्रीनगर में पूर्व जज नीलकंठ गंजू का मर्डर कर दिया था। इस केस की फाइल राज्य जांच एजेंसी (SIA) ने फिर खोली है।

जांच में SIA को फ्रंट के नेता यासीन मलिक का हाथ होने के सुराग मिले हैं। अभी मलिक अन्य आतंकी मामलों में तिहाड़ में बंद है। सूत्रों के अनुसार SIA छह और कोल्ड केस को खोलेगी। इनमें 1990 में श्रीनगर में दूरदर्शन के निदेशक लस्सा कौल सहित पत्रकार शबान वकील हत्या के मामले शामिल हैं।

ये हत्याएं कश्मीरी पंडितों को घाटी से निकालने के लिए दहशत फैलाने की आंतकियों की साजिश का हिस्सा थीं। गंजू मामले में SIA ने आम नागरिकों से भी जानकारी देने को कहा है। भाजपा ने इसे इंसाफ की दिशा में अच्छा कदम बताया है।

पहली हत्या टीकाराम की हुई थी
घाटी में कश्मीरी पंडितों की टारगेटेड किलिंग का सिलसिला 14 सितंबर 1989 में एडवोकेट टीकालाल टपलू की हत्या से शुरू हुआ था। टीकाराम भाजपा से जुड़े थे।

जज गंजू ने जेकेएलएफ संस्थापक भट को फांसी की सजा सुनाई थी
जज नीलकंठ गंजू ने आतंकी संगठन JKLF के संस्थापक मकबूल भट को इंस्पेक्टर अमरचंद की हत्या में फांसी की सजा सुनाई थी। JKLF ने मकबूल की रिहाई के लिए कई प्रदर्शन किए। 1984 में इन आतंकियों ने लंदन में भारतीय राजनयिक रवींद्र म्हात्रे की हत्या कर दी थी।

इस घटना के बाद भट को 1984 में फांसी दी गई। JKLF ने मकबूल को फांसी दिए जाने का बदला लेने की नीयत से नवंबर, 1989 में श्रीनगर बाजार में तब रिटायर हो चुके जज गंजू की गोली मार कर हत्या कर दी थी।

न्याय के लिए ये अच्छा कदम: भाजपा
भाजपा के नेता कविंदर गुप्ता ने कहा है कि न्याय के लिए ये अच्छा कदम है। हमारा वादा था कि पुराने मामलों में फिर जांच होगी। निर्दोष लोगों की हत्या के पीछे के असल दोषियों को कठघरे में लाएंगे। जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रवक्ता इमरान नबी व पीडीपी प्रवक्ता सुहेल बुखारी ने कहा कि उन्हें इन मामलों की जानकारी नहीं है।