कलकत्ता हाईकोर्ट बोला- किशोरियां यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखें: कहा- वे दो मिनट के सुख के लिए समाज की नजरों में गिर जाती हैं

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कोलकाता30 मिनट पहले

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डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने आरोपी को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराया था। इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील की थी। - Dainik Bhaskar

डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने आरोपी को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराया था। इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील की थी।

पॉक्सो एक्ट के मामले में फैसला सुनाते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा- ‘किशोरियों को यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। वे दो मिनट के सुख के लिए समाज की नजरों में गिर जाती हैं।’

कोर्ट ने अपने आदेश में लड़कों को भी नसीहत दी। कहा- ‘किशोरों को भी युवतियों, महिलाओं की गरिमा और शारीरिक स्वायत्तता का सम्मान करना चाहिए।’

ये टिप्पणियां जस्टिस चित्तरंजन दास और जस्टिस पार्थ सारथी सेन की बेंच ने नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के दोषी को बरी करते हुए कीं।

अभिभावकों को सलाह- बच्चों को घर में सिखाएं
बच्चों, खासतौर पर लड़कियों को गुड टच-बैड टच, गलत इशारे, अच्छी-बुरी संगत और प्रजनन तंत्र के बारे में सही जानकारी दें। महिलाओं का सम्मान करने की सीख देनी चाहिए। क्योंकि, परिवार ही ऐसी जगह है जहां बच्चे सबसे ज्यादा और सबसे पहले सीखते हैं।

सहमति से संबंध की उम्र घटाने का सुझाव भी
हाई कोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) के प्रावधान पर भी चिंता जताई। इनमें किशोरों में सहमति से यौन संबंधों को अपराध माना गया है। बेंच ने 16 साल से अधिक उम्र के किशोरों के बीच सहमति से बने संबधों को अपराध की श्रेणी से हटाने का सुझाव दिया। भारत में यौन संबंधों के लिए सहमति की उम्र 18 साल है। इससे कम उम्र में दी गई सहमति वैध नहीं मानी जाती।

जिला अदालत ने लड़के को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराया था। दोनों किशोरों के बीच प्रेम संबंध था और उन्होंने सहमति से संबंध बनाए थे।

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