कर्नाटक CM की कावेरी विवाद पर इमरजेंसी मीटिंग: सरकार बोली- तमिलनाडु को पानी देने की स्थिति में नहीं; इस मुद्दे पर विपक्ष भी सरकार के साथ

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बेंगलुरु2 मिनट पहले

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कावेरी वॉटर रेगुलेशन कमिटी ने मंगलवार को कर्नाटक सरकार से अगले 15 दिनों के लिए तमिलनाडु को हर दिन कावेरी का 5,000 क्यूसेक पानी देने को कहा था। इसको लेकर कर्नाटक सीएम ने आज इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। - Dainik Bhaskar

कावेरी वॉटर रेगुलेशन कमिटी ने मंगलवार को कर्नाटक सरकार से अगले 15 दिनों के लिए तमिलनाडु को हर दिन कावेरी का 5,000 क्यूसेक पानी देने को कहा था। इसको लेकर कर्नाटक सीएम ने आज इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है।

कावेरी वॉटर रेगुलेशन कमिटी (CWRC) की सिफारिश के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आज स्पेशल इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। बेंगलुरु के विधान सौधा के कॉन्फ्रेंस हॉल में यह मीटिंग होगी।

इसमें उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार, कावेरी बेसिन क्षेत्र के मंत्रियों के अलावा राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्री, कैबिनेट के मंत्री समेत राज्य के लोकसभा-राज्यसभा सांसद भी शामिल होंगे।

CWRC ने मंगलवार को अपनी सिफारिश में कर्नाटक सरकार से अगले 15 दिनों के लिए तमिलनाडु को हर दिन कावेरी नदी से 5,000 क्यूसेक पानी देने के लिए कहा था।

CM शिवकुमार बोले- हम पानी छोड़ने की स्थिति में नहीं
मंगलवार को CWRC की सिफारिश आने के बाद उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने कहा था कि कर्नाटक सरकार तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी छोड़ने की स्थिति में नहीं है। नदी घाटी क्षेत्र में पर्याप्त बारिश नहीं हुई है, जिसके कारण राज्य के पास पर्याप्त वॉटर स्टोरेज नहीं है।

तमिलनाडु के साथ कावेरी विवाद पर विपक्ष भी सरकार के साथ
तमिलनाडु को पानी नहीं देने के फैसले का भाजपा भी समर्थन कर रही है। कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष नलिन कुमार कतील ने राज्य की कांग्रेस सरकार से किसी भी कीमत पर तमिलनाडु को पानी देने से मना किया है।

उन्होंने कहा- हम राज्य सरकार और मुख्यमंत्री से अनुरोध करते हैं कि राज्य में किसानों के लिए पानी नहीं है, सूखे की स्थिति है, पीने के पानी की भी कमी है। ऐसी स्थिति में किसी भी कीमत पर पानी नहीं छोड़ा जाना चाहिए। हमें सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करनी चाहिए और लड़ना चाहिए। हम सरकार के साथ हैं।

क्या है कर्नाटक-तमिलनाडु के बीच कावेरी विवाद
कावेरी दक्षिण भारत की नदी है, जो जो कर्नाटक के कोडागू जिले से निकलती है। यह तमिलनाडु से होती हुई बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। कावेरी की घाटी में कर्नाटक का 32 हजार वर्ग किमी और तमिलनाडु का 44 हजार वर्ग किमी का क्षेत्र आता है। दोनों राज्यों के बीच कावेरी नदी के पानी को लेकर 140 साल से ज्यादा समय से विवाद चल रहा है।

  • 1881 : तब के मैसूर राज्य (अब कर्नाटक) ने बांध बनाने का फैसला लिया जिस पर मद्रास राज्य (अब तमिलनाडु) ने विरोध किया।
  • 1924 : इस पर ब्रिटिश सरकार ने दोनों राज्यों के बीच समझौता कराया, लेकिन विवाद खत्म नहीं हुआ।
  • 1974 : विवाद ने तब और जोर पकड़ा जब कर्नाटक ने तमिलनाडु की इजाजत के बिना नदी का रुख मोड़ना शुरू कर दिया।
  • 1990 : केन्द्र ने कावेरी वॉटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल (CWDT) का गठन किया। CWDT ने विवाद हल करने की कोशिश की और कर्नाटक को हर महीने कावेरी के पानी का हिस्सा तमिलनाडु को देने का अंतरिम आदेश दिया। हालांकि, अंतिम फैसला आने में 17 साल लग गए।
  • 2007 : CWDT ने अंतिम फैसला सुनाते हुए कहा कि तमिलनाडु को 419 TMC और कर्नाटक को 270 TMC सालाना पानी मिलना चाहिए। कर्नाटक इस फैसले से नाखुश था, क्योंकि कावेरी नदी में सबसे ज्यादा पानी डालकर भी उससे कम पानी मिल रहा था।
  • 2016 : कर्नाटक से कम पानी मिलने के कारण तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची।
  • 2018 : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, तमिलनाडु को 404.25 TMC पानी मिलेगा। वहीं कर्नाटक को 284.75 TMC पानी देने का आदेश दिया गया।

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