कंचनजंगा ट्रेन हादसे की वजह ऑपरेशन डिपार्टमेंट-मालगाड़ी ड्राइवर की चूक: प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में खुलासा; मालगाड़ी का असिस्टेंट ड्राइवर भी जिंदा है

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9 मिनट पहले

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इस ट्रेन हादसे में 41 लोग घायल हुए थे, जिनका इलाज चल रहा है। - Dainik Bhaskar

इस ट्रेन हादसे में 41 लोग घायल हुए थे, जिनका इलाज चल रहा है।

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में 17 जून को सियालदाह जा रही कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकराने के बाद पैसेंजर ट्रेन के गार्ड और मालगाड़ी के लोको पायलट समेत 10 लोगों की मौत हो गई थी।

अब प्रारंभिक जांच में पता चला है कि न्यू जलपाईगुड़ी रेल डिवीजन के ऑपरेशन डिपार्टमेंट और कंचनजंगा से टकराने वाली मालगाड़ी के ड्राइवर की चूक की वजह से यह हादसा हुआ था।

टक्कर न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन से 30 किमी दूर रंगापानी स्टेशन के पास हुई थी, जिससे सुबह 8.55 बजे मालगाड़ी के इंजन के टकराने के कारण कंचनजंगा एक्सप्रेस के पिछले 4 डिब्बे पटरी से उतर गए थे।

उधर, कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकराने वाली मालगाड़ी का असिस्टेंट ड्राइवर भी जिंदा है। जब वह ठीक हो जाएगा और बोलने की स्थिति में होगा, तब जांच अधिकारी उसका बयान दर्ज करेंगे।

रेलवे के 6 सीनियर अधिकारियों ने की जांच
रेलवे ने 6 सीनियर अधिकारियों की जांच टीम बनाई है। जिसने प्रारंभिक रिपोर्ट सबमिट कर दी है। हालांकि, हादसे के तुरंत बाद रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने कहा था कि टक्कर इसलिए हुई क्योंकि मालगाड़ी ने सिग्नल की अनदेखी की थी। रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) दुर्घटना के कारणों की जांच कर रहे हैं।

जांच कर रहे 5 अधिकारियों ने मालगाड़ी के ड्राइवर पर सिग्नल के साथ-साथ स्पीड मैनेजमेंट के उल्लंघन का आरोप लगाया है। वहीं, एक ने कहा है कि न्यू जलपाईगुड़ी रेल डिवीजन का ऑपरेशन डिपार्टमेंट रानीपात्रा (आरएनआई) और चत्तर हाट जंक्शन (सीएटी) के बीच रूट की सुरक्षा करने में फेल रहा है।

एनजेपी डिवीजन के चीफ लोको इंस्पेक्टर ने अपने नोट में कहा कि 17 जून को सुबह 5:50 बजे से ऑटोमैटिक और सेमी ऑटोमैटिक सिग्नल काम नहीं कर रहे थे। ऐसे में, पूरे सेक्शन को कम्पलीट ब्लॉक सिस्टम के बीच एक समय में केवल एक ट्रेन को परमिशन देने के सिस्टम बदला जाना चाहिए था।

हादसे के कारण कंचनजंगा एक्सप्रेस के 5 डिब्बे पटरी से उतर गए थे।

हादसे के कारण कंचनजंगा एक्सप्रेस के 5 डिब्बे पटरी से उतर गए थे।

दोनों ट्रेनों को मिले थे सिग्नल पार करने वाले लेटर
न्यू जलपाईगुड़ी के एक रेलवे सूत्र ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि दुर्घटना से पहले क्या हुआ, इसके बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि कंचनजंगा एक्सप्रेस 17 जून को सुबह 8:27 बजे रानीपतरा स्टेशन से दो अथॉरिटी लेटर टी/ए 912 और टी369 (3बी) के साथ रवाना हुई थी।

पहले फॉर्म के मुताबिक टी/ए 912 ने ड्राइवर को सभी रेड सिग्नल क्रॉस करने की परमिशन थी। लेकिन इसमें स्पीड के बारे में नहीं लिखा था। दूसरी ओर, टी369 (3बी) में लिखा था कि ड्राइवर RNI स्टेशन से निकलने के तुरंत बाद 15 किमी प्रति घंटे की स्पीड से दो सिग्नल पार करेगा।

रिपोर्ट के मुताबिक यही 2 अथॉरिटी लेटर मालगाड़ी को भी जारी किए गए थे जो सुबह 8:42 बजे रानीपतरा स्टेशन से रवाना हुई थी। हालांकि इसमें मालगाड़ी की स्पीड का जिक्र नहीं है।

मालगाड़ी का असिस्टेंट ड्राइवर जिंदा है, लेकिन गंभीर घायल
रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) मालगाड़ी के गंभीर रूप से घायल असिस्टेंट ड्राइवर मोनू कुमार का बयान दर्ज करेंगे। वह सबसे महत्वपूर्ण गवाहों में से एक है। जब वह ठीक हो जाएगा और बोलने की स्थिति में होगा, तो उसका बयान दर्ज किया जाएगा। उन्होने कहा कि इसमें कुछ दिन लग सकते हैं। कुमार का सिलीगुड़ी के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। असिस्टेंट ड्राइवर कुमार को शुरू में रेलवे अधिकारियों ने दुर्घटना में मरा हुआ मान लिया था, लेकिन बाद में वह गंभीर रूप से घायल अवस्था में जिंदा पाया गया।

घायलों और मरने वालों के परिवारों को मिलेगा मुआवजा
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घटना में जान गंवाने वाले परिवारों को 10 लाख रुपए, गंभीर घायलों को 2.50 लाख रुपए और मामूली घायलों को 50 हजार रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की। इसके अलावा हादसे में मारे गए लोगों को प्रधानमंत्री राहत कोष से 2-2 लाख रुपए और घायलों को 50 हजार रुपए मदद का ऐलान किया गया है।

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