एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में SC/ST फैकल्टी कैंडिडेट्स के साथ भेदभाव: संसदीय पैनल ने कहा- उन्हें जानबूझकर अयोग्य घोषित किया जाता है

नई दिल्ली10 मिनट पहले

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संसदीय पैनल के अध्यक्ष लोकसभा सांसद किरीट प्रेमजीभाई सोलंकी ने मंगलवार को लोकसभा में रिपोर्ट पेश की। - Dainik Bhaskar

संसदीय पैनल के अध्यक्ष लोकसभा सांसद किरीट प्रेमजीभाई सोलंकी ने मंगलवार को लोकसभा में रिपोर्ट पेश की।

एक संसदीय पैनल ने कहा है कि एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के कैंडिडेट्स को फैकल्टी मेंबर के तौर पर नियुक्ति के लिए जानबूझकर अयोग्य घोषित किया जाता है। SC/ST के कल्याण के लिए बनाई समिति ने मंगलवार को लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की। पैनल ने कहा कि वह सरकार का घिसा-पिटा जवाब मानने को तैयार नहीं है कि पर्याप्त संख्या में उचित कैंडिडेट नहीं मिल सके।

ये रिपोर्ट SC/ST के सामाजिक-आर्थिक विकास में ऑटोनॉमस बॉडीज/एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन की भूमिका पर आधारित है। इन एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में सेंट्रल यूनिसर्विटीज, इंजीनियरिंग कॉलेज, IIM, IIT, मेडिकल इंस्टीट्यूट, नवोदय विद्यालय और केंद्रीय विद्यालय शामिल हैं।

पैनल ने जिन एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स पर रिपोर्ट पेश की उनमें सेंट्रल यूनिसर्विटीज, इंजीनियरिंग कॉलेज, IIM, IIT, मेडिकल इंस्टीट्यूट, नवोदय विद्यालय और केंद्रीय विद्यालय शामिल हैं।

पैनल ने जिन एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स पर रिपोर्ट पेश की उनमें सेंट्रल यूनिसर्विटीज, इंजीनियरिंग कॉलेज, IIM, IIT, मेडिकल इंस्टीट्यूट, नवोदय विद्यालय और केंद्रीय विद्यालय शामिल हैं।

कैंडिडेट्स का ठीक से मूल्यांकन नहीं किया जा रहा
रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कैंडिडेट्स जो कि हर तरीके से फैकल्टी मेंबर बनने के लायक हैं, उनका ठीक से मूल्यांकन नहीं किया जा रहा है। उन्हें सिलेक्शन कमिटी जानबूझकर पक्षपातपूर्ण तरीके से ‘अयोग्य’ घोषित कर रही है, ताकि SC/ST कैंडिडेट्स को फैकल्टी मेंबर बनने के उनके कानूनी हक से वंचित किया जा सके।

AIIMS की सिलेक्शन कमेटी में एक भी SC/ST सदस्य नहीं
इस संसदीय पैनल के अध्यक्ष लोकसभा सांसद किरीट प्रेमजीभाई सोलंकी ने कहा कि नई दिल्ली के एम्स में फैकल्टी पोस्ट के लिए सिलेक्शन की प्रक्रिया स्टैंडिंग सिलेक्शन कमेटी करती है। इस कमेटी में चेयरमैन समेत सात सदस्य हैं। इस कमेटी में SC/ST समुदाय ये एक भी सदस्य नहीं है। इस कमेटी में SC/ST समुदाय से सदस्यों को शामिल किया जाना जरूरी है, ताकि SC/ST समुदाय का प्रतिनिधित्व हो और वे AIIMS में SC/ST एम्पलॉयी के लिए नीतियां बनाए जाने में मदद कर सकें।

रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्वेशन पॉलिसी को सभी सुपर-स्पेशियलिटी फील्ड्स में स्टूडेंट और फैकल्टी दोनों स्तरों पर लागू किया जाना चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्वेशन पॉलिसी को सभी सुपर-स्पेशियलिटी फील्ड्स में स्टूडेंट और फैकल्टी दोनों स्तरों पर लागू किया जाना चाहिए।

सुपर स्पेशयलिटी कोर्सेस में रिजर्वेशन पॉलिसी लागू करना जरूरी
पैनल ने ये भी कहा कि सुपर स्पेशियलिटी कोर्सेस में रिजर्वेशन मान्य नहीं है। इसलिए SC/ST समुदाय के सदस्य सुपर-स्पेशलिटी कोर्स में दाखिला नहीं ले पाते हैं। इस वजह से ये छात्र सुपर-स्पेशियलिटी कोर्सेज से वंचित रहे जाते हैं और अनारक्षित फैकल्टी मेंबर्स का एकाधिकार बना रहता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्वेशन पॉलिसी को सभी सुपर-स्पेशियलिटी फील्ड्स में स्टूडेंट और फैकलटी दोनों स्तरों पर लागू किया जाना चाहिए, ताकि यहां पर SC/ST समुदाय के लोगों की मौजूदगी सुनिश्वित की जा सके। इसके लिए संसदीय कमेटी का कहना है कि ऐसी व्यवस्था बनाई जानी चाहिए जिसके तहत SC/ST डॉक्टरों और स्टूडेंट्स को स्पेशलाइज्ड ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजा जाए, ताकि सभी सुपर स्पेशियलिटी फील्ड्स में उनका प्रतिनिधित्व दिखाई दे।

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