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नई दिल्ली6 मिनट पहले
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दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को उपहार सिनेमा अग्निकांड के सबूतों से छेड़छाड़ मामले में गोपाल अंसल और सुशील अंसल को सजा सुनाए जाने के बाद रिहा कर दिया गया है। हालांकि, दोनों पर लगाया गया 2.25 करोड़ रुपए का जुर्माना बरकरार रखा गया है।
कोर्ट में ही रो पड़ीं शिकायतकर्ता
कोर्ट के फैसले को सुनकर शिकायतकर्ता नीलम कृष्णमूर्ति रो पड़ीं और बोलीं कि हमारे साथ अन्याय हुआ है। जस्टिस धर्मेश शर्मा ने उन्हें यह कहते हुए सांत्वना दी कि उनके नुकसान की भरपाई कोई नहीं कर सकता, लेकिन मामले में दोषियों की उम्र पर विचार किया जाना था।
बीते दिन इसी मामले में सुशील अंसल और गोपाल अंसल की सजा को बरकरार रखा गया था। कोर्ट ने कहा था कि सबूतों से छेड़छाड़ करने पर अंसल बंधुओं को कोई राहत नहीं दी जा सकती।
सबूतों के साथ हुई थी छेड़छाड़
CBI की जांच में कई फैक्ट सामने आए थे। सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई थी। मजिस्ट्रियल कोर्ट ने 8 नवंबर को दोनों भाईयों को 7 साल जेल की सजा सुनाई थी और तब से वे जेल में थे। दोनों पर 2.25 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था। इससे पहले भी आरोपियों की ओर से सजा निलंबित करके जमानत पर रिहा करने की मांग की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
अंसल बंधुओं पर उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप लगे थे।
क्या है अग्निकांड का पूरा मामला
साउथ दिल्ली के उपहार सिनेमा में 13 जून 1997 को फिल्म ‘बॉर्डर’ की स्क्रीनिंग चल रही थी। शाम करीब पौने पांच बजे सिनेमाहॉल के ग्राउंड फ्लोर पर लगे एक ट्रांसफॉर्मर में आग लग गई। इससे पहले कोई कुछ समझ पाता, आग ने पूरे हॉल को अपनी चपेट में ले लिया। कोई जलकर मर गया तो किसी की दम घुटने से मौत हो गई।
13 जून 1997 को ही फिल्म ‘बॉर्डर’ लगी थी, जिसके चलते सिनेमाहॉल में क्षमता से ज्यादा भीड़ थी।
हादसे में 59 लोग मारे गए और 100 से भी ज्यादा लोगों को चोटें आईं। हॉल की पार्किंग में रखी कारें भी जलकर खाक हो गईं। सिनेमा हॉल में क्षमता से अधिक लोग बैठे थे। मरने वालों में महिलाओं और छोटे बच्चों की संख्या ज्यादा थी। जांच में पता चला कि सिनेमा हाल में आग से बचने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं थे।
16 लोगों के खिलाफ चार्जशीट हुई थी दायर
22 जुलाई 1997 को पुलिस ने उपहार सिनेमा मालिक सुशील अंसल और उसके बेटे प्रणव अंसल को मुंबई से गिरफ्तार किया था। इसके दो दिन बाद मामले की जांच दिल्ली पुलिस से CBI को सौंप दी गई थी। CBI ने मामले में जांच करते हुए 15 नवंबर 1997 सुशील अंसल, गोपाल अंसल सहित 16 लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर की थी।