उद्धव बोले- मुंबई का नाम अडाणी सिटी नहीं होने देंगे: धारावी के नाम पर अडाणी का विकास चल रहा, सत्ता में आते ही प्रोजेक्ट रद्द करेंगे

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मुंबई48 मिनट पहले

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धारावी विकास परियोजना को लेकर शिवसेना (UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। - Dainik Bhaskar

धारावी विकास परियोजना को लेकर शिवसेना (UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया।

शिवसेना (UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने धारावी विकास परियोजना को लेकर राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ठाकरे का कहना है कि धारावी के विकास के लिए जानबूझकर बिजनेसमैन गौतम अडाणी को टेंडर दिया गया है। धारावी का विकास होना चाहिए, अडाणी का नहीं।

ठाकरे ने कहा कि धारावी के लोगों को 500 वर्ग फुट का घर मिलना ही चाहिए। हर घर में एक माइक्रो व्यापार चलता है। इसके लिए भी उपाय होना चाहिए। ये (भाजपा) मुंबई का नाम अडाणी सिटी भी कर देंगे। इनकी कोशिश चल रही है, उसे हम होने नहीं देंगे।

ठाकरे ने शनिवार को कहा कि अगर उनकी पार्टी महाराष्ट्र की सत्ता में आती है तो अडाणी को दिया गया प्रोजेक्ट रद्द कर दिया जाएगा।

प्रेस कान्फ्रेंस में उद्धव ठाकरे के दो बड़े बयान…

  • ठाकरे ने कहा कि धारावी के लोगों को पात्र और अपात्र के चक्रव्यू में फंसाने की कोशिश की जा रही है। हमारी सरकार सत्ता में आएगी तो हम धारावी के लोगों को दूसरी जगह नहीं बसाएंगे। धारावी में ही कारोबार की उचित व्यवस्था की जाएगी।
  • उन्होंने कहा कि धारावी का विकास होना चाहिए, अडाणी का नहीं। अगर अडाणी धारावी के लोगों की डिमांड पूरी नहीं कर सकते तो दोबारा टेंडर कराया जाए। ग्लोबल टेंडर निकलना चाहिए और पारदर्शिता का पालन होना चाहिए। सरकार को जवाब देना चाहिए कि इसे अभी तक क्यों नहीं रद्द किया गया।

2023 में धारावी के विकास के लिए अडाणी को प्रोजेक्ट मिला
महाराष्ट्र सरकार मुंबई में मौजूद एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी के डेवलपमेंट पर काम कर रही है। इसके लिए सरकार ने टेंडर निकाला, जो जुलाई 2023 में अडाणी ग्रुप को मिला। सितंबर 2023 में अडाणी ग्रुप ने एक नई कंपनी बनाई। इसका काम धारावी का विकास करना है।

अलग-अलग फेस में रिडेवलप होगा स्लम एरिया
धारावी के स्लम एरिया को अलग-अलग फेस में रिडेवलप किया जाएगा। सबसे पहले वहां रहने वाले लोगों को शिविरों में भेजा जाएगा। इसके बाद वहां पर नए घरों को बनाया जाएगा।

जो लोग 1 जनवरी 2000 से पहले से धारावी में रह रहे हैं उन्हें फ्री में पक्का मकान दिया जाएगा

जो लोग 1 जनवरी 2000 से पहले से धारावी में रह रहे हैं उन्हें फ्री में पक्का मकान दिया जाएगा

1 जनवरी 2000 से पहले के लोगों को फ्री में मकान
धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट 23 हजार करोड़ का है। प्रोजेक्ट के तहत, जो लोग 1 जनवरी 2000 से पहले से धारावी में रह रहे हैं उन्हें फ्री में पक्का मकान दिया जाएगा। जबकि, जो लोग 2000 से 2011 के बीच आकर यहां बसे हैं, उन्हें इसके लिए कीमत चुकानी होगी।

8 ग्लोबल कंपनियों ने इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाई थी
अडाणी ग्रुप के अलावा बोली लगाने वालों में दूसरे नंबर पर DLF ग्रुप रहा था, जिसने 2,025 करोड़ रुपए की बोली लगाई, जबकि नमन ग्रुप की बोली कैंसिल कर दी गई। इस टेंडर में 8 ग्लोबल कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन असल में सिर्फ तीन कंपनियों ने इस प्रोजेक्ट के लिए बिडिंग डॉक्यूमेंट जमा किए थे।

240 हेक्टेयर में फैला है धारावी का स्लम
धारावी का स्लम 240 हेक्टेयर में फैला हुआ है, जहां करीब 10 लाख लोग रहते हैं। महाराष्ट्र सरकार ने पूरे इलाके को अनडेवलप्ड एरिया के रुप में बताया है और इसके लिए एक स्पेशल प्लानिंग अथॉरिटी बनाई है।

झुग्गी बस्ती में चमड़े की चीजें, और मिट्टी के सजावटी बर्तन तैयार किए जाते हैं

झुग्गी बस्ती में चमड़े की चीजें, और मिट्टी के सजावटी बर्तन तैयार किए जाते हैं

प्रोजेक्ट को पहली बार 1999 में प्रस्तावित किया
1999 में भाजपा-शिवसेना सरकार ने पहली बार धारावी के रिडेवलपमेंट का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद 2003-04 में महाराष्ट्र सरकार ने धारावी को एक इंटीग्रेटेड प्लान्ड टाउनशिप के रूप में रिडेवलप करने का निर्णय लिया और इसके लिए एक प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई और टेंडर निकाले गए। 2011 में सरकार ने सभी टेंडर को कैसिंल कर दिया और एक मास्टर प्लान तैयार किया था। महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने अक्टूबर 2022 में नए टेंडर जारी किए। इससे पहले इस प्रोजेक्ट के लिए लगी बोली को उद्धव ठाकरे सरकार ने साल 2019 में कैंसिल कर दिया था।

फिल्मों से बढ़ी धारावी की लोकप्रियता, टूरिस्ट भी आते हैं
साल 2008 में ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ फिल्म के रिलीज होने के बाद इस क्षेत्र को लोकप्रियता मिली। फिल्म ने कई अवॉर्ड भी जीते। इसके बाद फिल्म गली बॉय में ये देखने को मिली थी। कई टूरिस्ट यहां भारत की बस्ती में रहने वालों के जीवन की झलक देखने आते हैं।

1882 में अंग्रेजों ने लोगों को बसाया था
इस इलाके को 1882 में अंग्रेजों ने बसाया था। मजदूरों को किफायती ठिकाना देने के मकसद से इसे बसाया गया था। धीरे-धीरे यहां लोग बढ़ने लगे और झुग्गी-बस्तियां बन गईं। यहां की जमीन सरकारी है, लेकिन लोगों ने झुग्गी-बस्ती बना ली है।

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