उत्तराखंड टनल में वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू: 19 मीटर से ज्यादा खुदाई हुई, रुकावट नहीं आई तो 4 दिन में मजदूरों तक पहुंचने की उम्मीद

  • Hindi News
  • National
  • Uttarakhand Tunnel Rescue Live Update 16th Day, Vertical Drilling, Uttarakhand Tunnel Workers Rescue

उत्तरकाशीएक घंटा पहले

  • कॉपी लिंक
पहाड़ की चोटी से ड्रिलिंग की जिम्मेदारी सतलुज विद्युत निगम लिमिटेड को दी गई है। कंपनी ने रविवार दोपहर को काम शुरू कर दिया। - Dainik Bhaskar

पहाड़ की चोटी से ड्रिलिंग की जिम्मेदारी सतलुज विद्युत निगम लिमिटेड को दी गई है। कंपनी ने रविवार दोपहर को काम शुरू कर दिया।

उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए 24 नवंबर से बंद पड़ा रेस्क्यू वर्क रविवार को फिर शुरू हो गया। मजदूरों तक पहुंचने के लिए अब पहाड़ की चोटी से वर्टिकल ड्रिलिंग की जा रही है। अब तक 19.2 मीटर खुदाई हो चुकी है। अधिकारियों का कहना है कि अगर कोई रुकावट नहीं आई तो हम 100 घंटे यानी 4 दिन में मजदूरों तक पहुंच जाएंगे।

आज रात तक 45 मीटर तक की ड्रिलिंग होने की उम्मीद है। इसके बाद ड्रिलिंग के लिए दूसरी मशीन लगाई जाएगी। वर्टिकल ड्रिलिंग कर 60 मीटर तक एक 6 इंच की फूड पाइप डाली गई है।

वर्टिकल ड्रिलिंग के तहत पहाड़ में ऊपर से नीचे की तरफ बड़ा होल करके रास्ता बनाया जाएगा। हालांकि इसमें काफी खतरा है, क्योंकि खुदाई के दौरान बड़ी मात्रा में मलबा गिरने की आशंका है। ड्रिलिंग में कितना समय लगेगा, इस बारे में भी कुछ नहीं कहा गया है। आज टनल में फोन की लैंडलाइन भी डाली जाएगी। इससे मजदूर अपने परिवार से बात कर सकेंगे।

सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए शाफ्ट रेस्क्यू रविवार को ही लोकेशन पर पहुंचा। इससे ही खुदाई की जा रही है।

सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए शाफ्ट रेस्क्यू रविवार को ही लोकेशन पर पहुंचा। इससे ही खुदाई की जा रही है।

टनल में फंसे मजदूरों तक पहुंचने में कामयाबी न मिलने के बाद प्लान बी के तहत वर्टिकल ड्रिलिंग की योजना बनाई गई है। इस काम को सतलुज विद्युत निगम लिमिटेड (SVNL) अंजाम दे रहा है। इससे पहले बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के जवानों ने पेड़ काटकर पहाड़ की चोटी तक भारी मशीनरी ले जाने का रास्ता तैयार किया था।

टनल में वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए मशीनें सुरंग के ऊपर फिट की गई हैं। यहां से नीचे की तरफ सीधी खुदाई हो रही है।

टनल में वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए मशीनें सुरंग के ऊपर फिट की गई हैं। यहां से नीचे की तरफ सीधी खुदाई हो रही है।

सुरंग में मैन्युअल ड्रिलिंग के लिए सेना को बुलाया गया
टनल में फंसे मजदूरों तक पहुंचने के लिए अमेरिकन ऑगर मशीन के जरिए खुदाई करके रेस्क्यू पाइप डाले जा रहे थे। शुक्रवार को मजदूरों की लोकेशन से महज 10 मीटर पहले मशीन की ब्लेड्स टूट गई थीं। इस वजह से रेस्क्यू रोकना पड़ा था।

मलबे ड्रिलिंग मशीन का 13.9 मीटर लंबा ब्लेड फंसा था। इसे लेजर कटर और प्लाज्मा कटर से काटकर बाहर निकाला जा रहा है। 5.75 मीटर ब्लेड निकाल लिया गया है, 8.15 मीटर ब्लेड को निकालना बाकी है। देर रात या कल सुबह तक इसमें कामयाबी मिल सकती है। फिर मैनुअल ड्रिलिंग से पाइप डाले जाएंगे, इसके लिए सेना को बुलाया गया है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर मशीन के टुकड़े सावधानी से नहीं निकाले गए तो इससे सुरंग में बिछाई गई पाइपलाइन टूट सकती है। इसके लिए हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाया गया है।

टनल में खुदाई के दौरान ऑगर मशीन का शाफ्ट टूट गया। शनिवार को इसे बाहर निकाला गया।

टनल में खुदाई के दौरान ऑगर मशीन का शाफ्ट टूट गया। शनिवार को इसे बाहर निकाला गया।

अब जानिए हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग क्यों फेल हुई
दरअसल, 21 नवंबर से सिल्क्यारा की तरफ से टनल में हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग की जा रही थी। इसमें काफी हद कामयाबी मिली। 60 मीटर के हिस्से में से 47 मीटर तक ड्रिलिंग के जरिए पाइप डाला जा चुका है। मजदूरों तक करीब 10-12 मीटर की दूरी रह गई थी, लेकिन शुक्रवार शाम को ड्रिलिंग मशीन के सामने सरिए आ जाने से ड्रिलिंग मशीन की शाफ्ट उसमें फंस गई।

जब मशीन से और प्रेशर डाला गया तो शाफ्ट टूट गई। इसका कुछ हिस्सा तोड़कर निकाला गया, लेकिन बड़ा हिस्सा अभी भी वहां अटका हुआ है। इसे मैन्युअल ड्रिलिंग कर निकाला जाएगा, फिर आगे खुदाई की जाएगी। दरअसल, पाइप में एक ही व्यक्ति जा सकता है और खुदाई कर सकता है। इसलिए ऐसा करने में काफी वक्त लग सकता है।

रेस्क्यू टीम ने ऑगर मशीन के हिस्से को काटकर बाहर निकाला, हालांकि अब भी ब्लेड के टुकड़े टनल में ही फंसे हैं।

रेस्क्यू टीम ने ऑगर मशीन के हिस्से को काटकर बाहर निकाला, हालांकि अब भी ब्लेड के टुकड़े टनल में ही फंसे हैं।

सुरंग के मुहाने पर पानी के रिसाव ने चिंता बढ़ाई
सिल्क्यारा सुरंग में पानी के रिसाव का खतरा बढ़ गया है। शनिवार को सुरंग के मुहाने के पास से ही पानी निकलता नजर आया। रेस्क्यू टीम और एक्सपर्ट्स इससे ऑपरेशन में मुश्किल आने की बात कह चुके हैं। वहीं, पानी के साथ मिट्टी के गीले होने पर सुरंग में मलबा धंसने की आशंका भी जताई गई थी।

टनल के सिल्क्यारा मुहाने के पास पानी का रिसाव बढ़ गया है, इससे रेस्क्यू टीम की चिंता बढ़ गई है।

टनल के सिल्क्यारा मुहाने के पास पानी का रिसाव बढ़ गया है, इससे रेस्क्यू टीम की चिंता बढ़ गई है।

ग्राफिक्स से समझिए कि मजदूरों को निकालने की कोशिशें कैसे हो रही हैं…

अब तक क्या हुआ?

26 नवंबर: उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए पहाड़ की चोटी से वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू हुई। रात 11 बजे तक 19.2 मीटर से ज्यादा खुदाई हुई। वर्टिकल ड्रिलिंग के तहत पहाड़ में ऊपर से नीचे की तरफ बड़ा होल करके रास्ता बनाया जा रहा है। अधिकारियों ने कहा- अगर कोई रुकावट नहीं आई तो हम 100 घंटे यानी 4 दिन में मजदूरों तक पहुंच जाएंगे।

25 नवंबर: शुक्रवार को ऑगर मशीन टूटने के चलते रुका रेस्क्यू का काम शनिवार को भी रुका रहा। इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अरनॉल्ड डिक्स ने कहा है कि अब ऑगर से ड्रिलिंग नहीं होगी, न ही दूसरी मशीन बुलाई जाएगी।

मजदूरों को बाहर निकालने के लिए दूसरे विकल्पों की मदद ली जाएगी। बी प्लान के तहत टनल के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग की तैयारी हो रही है। NDMA का कहना है कि मजदूरों तक पहुंचने के लिए करीब 86 मीटर की खुदाई करनी होगी।

24 नवंबर: सुबह ड्रिलिंग का काम शुरू हुआ तो ऑगर मशीन के रास्ते में स्टील के पाइप आ गए, जिसके चलते पाइप मुड़ गया। स्टील के पाइप और टनल में डाले जा रहे पाइप के मुड़े हुए हिस्से को बाहर निकाल लिया गया। ऑगर मशीन को भी नुकसान हुआ था, उसे भी ठीक कर लिया गया।

इसके बाद ड्रिलिंग के लिए ऑगर मशीन फिर मलबे में डाली गई, लेकिन टेक्निकल ग्लिच के चलते रेस्क्यू टीम को ऑपरेशन रोकना पड़ा। उधर, NDRF ने मजदूरों को निकालने के लिए मॉक ड्रिल की।

23 नवंबर: अमेरिकी ऑगर ड्रिल मशीन तीन बार रोकनी पड़ी। देर शाम ड्रिलिंग के दौरान तेज कंपन होने से मशीन का प्लेटफॉर्म धंस गया। इसके बाद ड्रिलिंग अगले दिन की सुबह तक रोक दी गई। इससे पहले 1.8 मीटर की ड्रिलिंग हुई थी।

22 नवंबर: मजदूरों को नाश्ता, लंच और डिनर भेजने में सफलता मिली। सिल्क्यारा की तरफ से ऑगर मशीन से 15 मीटर से ज्यादा ड्रिलिंग की गई। मजदूरों के बाहर निकलने के मद्देनजर 41 एंबुलेंस मंगवाई गईं। डॉक्टरों की टीम को टनल के पास तैनात किया गया। चिल्यानीसौड़ में 41 बेड का हॉस्पिटल तैयार करवाया गया।

21 नवंबर: एंडोस्कोपी के जरिए कैमरा अंदर भेजा गया और फंसे हुए मजदूरों की तस्वीर पहली बार सामने आई। उनसे बात भी की गई। सभी मजदूर ठीक हैं। मजदूरों तक 6 इंच की नई पाइपलाइन के जरिए खाना पहुंचाने में सफलता मिली। ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू हुई।

केंद्र सरकार की ओर से 3 रेस्क्यू प्लान बताए गए। पहला- ऑगर मशीन के सामने रुकावट नहीं आई तो रेस्क्यू में 2 से 3 दिन लगेंगे। दूसरा- टनल की साइड से खुदाई करके मजदूरों को निकालने में 10-15 दिन लगेंगे। तीसरा- डंडालगांव से टनल खोदने में 35-40 दिन लगेंगे।

फंसे मजदूरों के पास कैमरा पहुंचने पर उन्होंने एक्सपर्ट टीम से बात की और खाने की डिमांड की थी।

फंसे मजदूरों के पास कैमरा पहुंचने पर उन्होंने एक्सपर्ट टीम से बात की और खाने की डिमांड की थी।

20 नवंबर: इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट ऑर्नल्ड डिक्स ने उत्तरकाशी पहुंचकर सर्वे किया और वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए 2 स्पॉट फाइनल किए। मजदूरों को खाना देने के लिए 6 इंच की नई पाइपलाइन डालने में सफलता मिली। ऑगर मशीन के साथ काम कर रहे मजदूरों के रेस्क्यू के लिए रेस्क्यू टनल बनाई गई। BRO ने सिल्क्यारा के पास वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए सड़क बनाने का काम पूरा किया।

19 नवंबर: सुबह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उत्तराखंड CM पुष्कर धामी उत्तरकाशी पहुंचे, रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया और फंसे लोगों के परिजनों को आश्वासन दिया। शाम चार बजे सिल्क्यारा एंड से ड्रिलिंग दोबारा शुरू हुई। खाना पहुंचाने के लिए एक और टनल बनाने की शुरुआत हुई। टनल में जहां से मलबा गिरा है, वहां से छोटा रोबोट भेजकर खाना भेजने या रेस्क्यू टनल बनाने का प्लान बना।

18 नवंबर: दिनभर ड्रिलिंग का काम रुका रहा। खाने की कमी से फंसे मजदूरों ने कमजोरी की शिकायत की। PMO के सलाहकार भास्कर खुल्बे और डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल उत्तरकाशी पहुंचे। पांच जगहों से ड्रिलिंग की योजना बनी।

17 नवंबर: सुबह दो मजदूरों की तबीयत बिगड़ी। उन्हें दवा दी गई। दोपहर 12 बजे हैवी ऑगर मशीन के रास्ते में पत्थर आने से ड्रिलिंग रुकी। मशीन से टनल के अंदर 24 मीटर पाइप डाला गया। नई ऑगर मशीन रात में इंदौर से देहरादून पहुंची, जिसे उत्तरकाशी के लिए भेजा गया। रात में टनल को दूसरी जगह से ऊपर से काटकर फंसे लोगों को निकालने के लिए सर्वे किया गया।

16 नवंबर: 200 हॉर्स पावर वाली हैवी अमेरिकन ड्रिलिंग मशीन ऑगर का इंस्टॉलेशन पूरा हुआ। शाम 8 बजे से रेस्क्यू ऑपरेशन दोबारा शुरू हुआ। रात में टनल के अंदर 18 मीटर पाइप डाले गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेस्क्यू ऑपरेशन की रिव्यू मीटिंग की।

फोटो में दिख रहा सिल्क्यारा टनल क्षेत्र है। यहीं 12 नवंबर को टनल धंसकने से 41 मजदूर फंसे हुए हैं। इसके बाद से यहां आला अफसरों समेत कई एजेंसियां मौजूद हैं।

फोटो में दिख रहा सिल्क्यारा टनल क्षेत्र है। यहीं 12 नवंबर को टनल धंसकने से 41 मजदूर फंसे हुए हैं। इसके बाद से यहां आला अफसरों समेत कई एजेंसियां मौजूद हैं।

15 नवंबर: रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत कुछ देर ड्रिल करने के बाद ऑगर मशीन के कुछ पार्ट्स खराब हो गए। टनल के बाहर मजदूरों के परिजनों की की पुलिस से झड़प हुई। वे रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी से नाराज थे। PMO के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली से एयरफोर्स का हरक्यूलिस विमान हैवी ऑगर मशीन लेकर चिल्यानीसौड़ हेलीपैड पहुंचा। ये पार्ट्स विमान में ही फंस गए, जिन्हें तीन घंटे बाद निकाला जा सका।

14 नवंबर: टनल में लगातार मिट्टी धंसने से नॉर्वे और थाईलैंड के एक्सपर्ट्स से सलाह ली गई। ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक को काम में लगाया। लेकिन लगातार मलबा आने से 900 एमएम यानी करीब 35 इंच मोटे पाइप डालकर मजदूरों को बाहर निकालने का प्लान बना। इसके लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक की मदद ली गई, लेकिन ये मशीनें भी असफल हो गईं।

13 नवंबर: शाम तक टनल के अंदर से 25 मीटर तक मिट्टी के अंदर पाइप लाइन डाली जाने लगी। दोबारा मलबा आने से 20 मीटर बाद ही काम रोकना पड़ा। मजदूरों को पाइप के जरिए लगातार ऑक्सीजन और खाना-पानी मुहैया कराया जाना शुरू हुआ।

12 नवंबर: सुबह 4 बजे टनल में मलबा गिरना शुरू हुआ तो 5.30 बजे तक मेन गेट से 200 मीटर अंदर तक भारी मात्रा में जमा हो गया। टनल से पानी निकालने के लिए बिछाए गए पाइप से ऑक्सीजन, दवा, भोजन और पानी अंदर भेजा जाने लगा। बचाव कार्य में NDRF, ITBP और BRO को लगाया गया। 35 हॉर्स पावर की ऑगर मशीन से 15 मीटर तक मलबा हटा।

खबरें और भी हैं…