असम में काजी नहीं, सरकार निकाह का रजिस्ट्रेशन करेगी: आज विधानसभा में मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स रजिस्ट्रेशन बिल पेश होगा; 90 साल पुराना कानून बदलेगा

गुवाहाटी4 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा बताया कि कैबिनेट ने मुस्लिम मैरिज एंड रजिस्ट्रेशन बिल को मंजूरी दी है। - Dainik Bhaskar

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा बताया कि कैबिनेट ने मुस्लिम मैरिज एंड रजिस्ट्रेशन बिल को मंजूरी दी है।

असम सरकार आज (22 अगस्त) को विधानसभा में मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स रजिस्ट्रेशन बिल 2024 पेश करेगी। इसके तहत मुस्लिम समाज के लोगों को शादी और तलाक का रजिस्ट्रेशन करना जरूरी होगा। बुधवार को असम कैबिनेट ने बिल को मंजूरी दी थी।

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा- बिल में 2 विशेष प्रावधान हैं। पहला- मुस्लिम शादी का रजिस्ट्रेशन अब काजी नहीं सरकार करेगी। दूसरा- बाल विवाह के पंजीकरण को अवैध माना जाएगा।

सीएम हिमंत ने कहा कि अब तक काजी नाबालिग लड़कियों की शादियां भी रजिस्टर्ड करते थे। अब ऐसा नहीं होगा। नया बिल इस्लामिक निकाह सिस्टम में बदलाव नहीं करेगा। केवल रजिस्ट्रेशन पार्ट में ही बदलाव होगा। शादी और तलाक रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर्ड होंगे।

1935 के कानून में निकाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं था
करीब 90 साल पहले अंग्रेजी शासन के दौरान 1935 के कानून में निकाह और तलाक का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं था। साथ ही पुराने कानून में 21 साल से कम उम्र के पुरुष और 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के निकाह का रजिस्ट्रेशन होने की गुंजाइश है। इससे बाल विवाह को बढ़ावा मिलता है। कानून का पालन भी सही से नहीं होता है।

डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर और रजिस्ट्रार को वर्तमान में 94 काजियों के पास मौजूद रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड लेने को कहा। इन्हें 1935 में ब्रिटिश एरा के दौरान वैध बनाया गया था।

असम में 81% बाल विवाह के मामलों में कमी आई
इससे पहले जुलाई में कैबिनेट ने असम मुस्लिम निकाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को हटाकर अनिवार्य रजिस्ट्रेशन लॉ को लाने के लिए एक बिल को मंजूरी दी थी। 1935 के कानून के तहत स्पेशल कंडीशन में कम उम्र में निकाह करने की अनुमति दी जाती थी।

जुलाई में जारी इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन रिपोर्ट ने बाल विवाह से निपटने के लिए असम सरकार के प्रयासों की सराहना की। रिपोर्ट में कहा गया कि कानूनी कार्रवाई के जरिए असम में बाल विवाह के मामलों को कम किया है। 2021-22 और 2023-24 के बीच राज्य के 20 जिलों में बाल विवाह के मामलों में 81% की कमी आई है।

ये खबर भी पढ़ें…

मुस्लिम मैरिज एक्ट खत्म, कांग्रेस बोली- ये UCC की शुरुआत, जीनत-तसलीमा कम उम्र में शादी करके फंसीं​​​​​

‘मेरे पति ने मुझे छोड़ दिया और इसके बाद तीन शादियां कीं। आज मेरे बेटे की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। मैं छह साल से पिता के घर बैठी हूं और वही मेरा खर्च उठा रहे हैं। उनके बाद मेरा क्या होगा, मुझे नहीं पता।’ असम के मोयराबारी जिले की रहने वाली तसलीमा बेगम की जिंदगी इसी उलझन में गुजर रही है। पूरी खबर पढ़ें…

असम में मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट खत्म, सरकार बोली- UCC की दिशा में एक बड़ा कदम

असम सरकार ने राज्य में मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट 1935 को खत्म कर दिया। यह निर्णय शुक्रवार देर रात मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट की बैठक में लिया गया। अब राज्य में सभी शादियां स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत की जाएंगी। पूरी खबर पढ़ें…

खबरें और भी हैं…