अयोध्या का रामपथ पहली बारिश में क्यों धंसा: हड़बड़ी में 140 दिन पहले तैयार किया; अब तक 6 अफसर सस्पेंड; असली दोषी कौन? पूरी पड़ताल – Uttar Pradesh News

अयोध्या का रामपथ पहली बारिश में ही 13 जगह धंस गया।

अयोध्या का रामपथ…वो सड़क जहां से होकर देश-दुनिया से आए श्रद्धालु रामलला के दर्शन के लिए जाते हैं। पहली ही बारिश में यह सड़क कई जगह धंस गई। जगह-जगह हुए गड्ढे बता रहे हैं कि इसका निर्माण ठीक से नहीं हुआ है।

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राम मंदिर के अलावा हनुमान गढ़ी, बिरला धर्मशाला और राम की पैड़ी को जोड़ने वाली 13 किलोमीटर की यह सड़क पहली ही बारिश में 13 जगह धंस गई है। तस्वीरें देशभर में सुर्खियों में आई तो सरकार पर सवाल खड़े हुए।

आखिरकार शुक्रवार रात को यूपी सरकार ने पहले PWD के 3 अफसरों को सस्पेंड किया। कुछ देर बाद इस सड़क का सीवर बनाने वाली अहमदाबाद की कंपनी को नोटिस जारी किया। थोड़ी देर बाद जल निगम के 3 अफसरों को भी सस्पेंड करना पड़ा।

दैनिक भास्कर टीम ने यहां पहुंचकर जाना कि आखिरकार 844 करोड़ की लागत से बनने वाली यह सड़क पहली बारिश में ही कैसे खराब हो गई? क्या जल्दबाजी में ऐसा हुआ या फिर निर्माण की गुणवत्ता में कमी रह गई? सड़क निर्माण में क्या बड़ी खामियां रहीं? इसका जवाब जानने के लिए हम उन जिम्मेदारों से भी मिले, जिन्होंने सड़क बनवाई है।

पहले देखिए कैसी हो गई है रामपथ की हालत…

यह तस्वीर रामलला मंदिर जाने वाले रामपथ की है, सड़क धंसी तो मौरंग भरकर दुर्दशा को भरने के जतन किए गए।

यह तस्वीर रामलला मंदिर जाने वाले रामपथ की है, सड़क धंसी तो मौरंग भरकर दुर्दशा को भरने के जतन किए गए।

8 फीट तक गहरे हो गए गड्ढे
रामपथ 12.94 किमी के रामपथ पर कई गड्‌ढे तो 8 फीट से ज्यादा गहरे हो गए थे। सबसे ज्यादा सड़क की खस्ता हालत पोस्ट ऑफिस तिराहे से रिकाबगंज चौराहे के बीच दिखी। यहां सबसे ज्यादा सड़क धंसी है। यह वह हिस्सा है जिसे सबसे आखिरी में बनाया गया था।

बारिश बंद होने के बाद लोक निर्माण विभाग ने गड्ढों में गिटि्टयां भरकर लीपापोती की।

बारिश बंद होने के बाद लोक निर्माण विभाग ने गड्ढों में गिटि्टयां भरकर लीपापोती की।

बारिश के बाद JCB का वजन भी नहीं सह पा रही सड़क
सड़क पर ज्यादातर गड्‌ढे मेनहोल के आसपास हुए हैं। JCB जब गड्ढे को पाटने पहुंची तो सड़क उसका वजन भी सह नहीं पाई। सड़क दरकने लगी। सड़क धंसने के चलते यहां से गुजरने वाले लोगों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।

रामपथ पर बीच सड़क पर गड्ढे हो गए हैं। निकलने में थोड़ी भी लापरवाही की तो जान मुश्किल में आ सकती है।

रामपथ पर बीच सड़क पर गड्ढे हो गए हैं। निकलने में थोड़ी भी लापरवाही की तो जान मुश्किल में आ सकती है।

गड्ढे के चारों ओर बिछाई ईंट
बारिश के बाद गाड़ियों की आवाजाही से सड़क पर जो दबाव पड़ा, उससे घटिया निर्माण की सच्चाई सामने आ गई। आसपास के लोगों ने सड़क पर धंसने वाली जगह के चारों ओर ईंट से घेराव किया, जिससे किसी प्रकार कोई घटना-दुर्घटना न हो। गड्ढे इतने बड़े हो गए हैं कि निकलने में अगर थोड़ी सी भी चूक हुई तो हादसा हो सकता है।

अब जानते हैं 3 वजह, जिसके कारण सड़क की ऐसी दुर्दशा हुई
रामपथ की दुर्दशा क्यों हुई। ये जानने के लिए हमने PWD के रिटायर्ड इंजीनियर को साथ में लिया और सड़क का मुआयना किया। यह इंजीनियर कुछ दिन पहले ही विभाग से रिटायर हुए हैं। कार्रवाई के डर से इन्होंने अपना नाम नहीं छापने की शर्त रखी। इन्होंने जो बताया उससे 3 वजह सामने आई।

1- सही तरीके से रोलिंग नहीं
रामपथ पर सीवर लाइन के मेनहोल की जगह ठीक से रोलिंग नहीं की गई। यानी उसे दबाया नहीं गया। सड़क के नीचे पाइप लाइनों का जाल बिछा है। इसमें 12 से ज्यादा यूटिलिटी डक्ट है। यूटिलिटी डक्ट वह हिस्सा है जिसे खोलकर पाइप लाइन की मरम्मत की जा सकती है या नई पाइप लाइन डाली जाती है। यानी, सड़क को खोदना नहीं पड़ता है और अंडरग्राउंड केबिल या पाइप डाला जा सकता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो ऐसे में सड़क बनाते समय प्रॉपर रोलिंग का होना जरूरी है।

2- सड़क के अंदर ड्रेनेज की सफाई नहीं की बारिश का पानी निकालने के लिए सड़क में अंडरग्राउंड पाइप लाइन डाली गई है, जिसे स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज कहते हैं। इसकी सफाई प्रॉपर तरीके से नहीं की गई। इस वजह से बारिश का पानी निकल नहीं पाया और जमा हो गया। एक्सपर्ट्स मानते हैं- अगर डामर रोड पर पानी इकट्ठा हो जाए, तब भी सड़क में गड्ढे हो सकते हैं। इसके लिए स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज की सफाई जरूरी होती है।

3- समय से पहले हैंडओवर का दबाव
रामपथ बनाने के लिए कम समय मिला। रामपथ बनाते समय तय टाइम लाइन से 4 महीने पहले ही सड़क हैंडओवर करने के लिए कहा गया। इस कारण सड़क की सभी लेयर प्रॉपर तरीके से सेट नहीं हो पाईं। ऐसे में बारिश का पानी जैसे ही सड़क के नीचे गया, सड़क धंसने लगी।

रामपथ को बनाने के लिए 485 दिन की टाइमलाइन तय हुई थी, लेकिन जल्दबाजी में इसे 341 दिन में यानी 140 दिन पहले बनाया गया।

यह तस्वीर सड़क धंसने के बाद मरम्मत के दौरान की है।

यह तस्वीर सड़क धंसने के बाद मरम्मत के दौरान की है।

अब जानते हैं सड़क का निर्माण कैसे हुआ और सबसे बड़ी खामी क्या रही
रामपथ बनाने का जिम्मा लोक निर्माण विभाग (PWD) को दिया गया। PWD ने इसका ठेका अयोध्या की R&C इन्फ्राइंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया। 844 करोड़ की बजट वाली इस सड़क का काम 24 जनवरी, 2023 को शुरू हुआ। निर्माण की गाइडलाइन (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन EPC) के मुताबिक, इसे बनाने के लिए 15 महीने का टाइम मिलना चाहिए था।

निर्माण करने वाली कंपनी को शुरुआत में यह वक्त दिया गया। रामपथ के दो फेज का निर्माण तय समय में हुआ, लेकिन आखिरी फेज में जल्दबाजी की गई।

अब जानिए फेज वाइज रामपथ का कैसे हुआ निर्माण
पहले
फेज में अयोध्या धाम (नया घाट से राम मंदिर तक) 4.5 किमी, दूसरे में अयोध्या धाम से सर्किट हाउस तक (3 किमी) और आखिरी में सर्किट हाउस से सहादतगंज बाईपास (5.4 किमी) का काम होना था। दो फेज का काम तो निर्धारित टाइम लाइन के हिसाब से पूरा हुआ, लेकिन 11 नवंबर, 2023 को अयोध्या में भव्य दीपोत्सव कार्यक्रम होना था। इसे देखते हुए सड़क निर्माण को तय समय सीमा से पहले पूरा करने का आदेश आ गया।

इसलिए सर्किट हाउस से सहादतगंज का काम जल्दबाजी में पूरा करना पड़ा। कंपनी ने विभाग को 30 दिसंबर, 2023 यानी निर्धारित टाइमलाइन से 140 दिन पहले सड़क का काम पूरा कर हैंडओवर कर दिया।

PWD के इन 3 अफसरों पर गिरी गाज

ध्रुव अग्रवाल (एग्जीक्यूटिव इंजीनियर): रामपथ के प्रोजेक्ट हेड थे। काम पर नजर रखना और टीम को आवश्यक दिशा-निर्देश देना था। बजट रिलीज करने की जिम्मेदारी थी।

अनुज देशवाल (असिस्टेंट इंजीनियर): टेक्निकल निरीक्षण कर दिशा-निर्देश देना था। सड़क निर्माण में इस्तेमाल मटेरियल की जांच करना।

प्रभात पांडेय (जूनियर इंजीनियर): काम का रोजाना निरीक्षण कर उन्हें जरूरी निर्देश देना था। साथ ही काम पूरा होने पर अनुशंसा रिपोर्ट लगाना।

जल निगम के भी 3 अफसर सस्पेंड

आनंद कुमार दुबे (एग्जीक्यूटिव इंजीनियर): इनका काम सीवर और ड्रेनेज की निगरानी करना। नई पाइप लाइन का निरीक्षण करना।

राजेंद्र कुमार यादव (असिस्टेंट इंजीनियर): ग्राउंड लेवल पर काम को देखना। काम करने वाली कंपनी को दिशा-निर्देश देना।

मोहम्मद शाहिद (जूनियर इंजीनियर): रोजाना काम का निरीक्षण करना। टेक्निकल पाइंट को ध्यान में रखते हुए बारीकी से जांच करना। ​​​​​

रामपथ जगह-जगह डिवाइडर के किनारे भी धंस गया। इसे अब ठीक किया जा रहा है।

रामपथ जगह-जगह डिवाइडर के किनारे भी धंस गया। इसे अब ठीक किया जा रहा है।

जिम्मेदार कौन…रामपथ बनाने का जिम्मा 2 विभाग और 2 कंपनियों पर

1. लोक निर्माण विभाग
सड़क निर्माण की जिम्मेदारी PWD को दी गई थी। टेक्निकल टीम से इसकी समय-समय पर जांच होनी थी, लेकिन कम समय में ज्यादा काम होने से प्रॉपर तरीके से निगरानी नहीं की गई। इसके चलते पहली बारिश में सड़क खराब हो गई।

2. सड़क बनाने वाली कंपनी
सड़क निर्माण का काम R&C इन्फ्राइंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था। यह कंपनी देश के कई शहरों में हाई-वे और दूसरे बड़े प्रोजेक्ट पर काम करती है। अयोध्या में भी इस कंपनी ने कई काम किए हैं, लेकिन रामपथ के जल्दी निर्माण के प्रेशर में कुछ खामियां रह गईं।

3. जल निगम
रामपथ के नीचे सीवर लाइन डालने का काम जल निगम के पास था। जल निगम ने इसकी जिम्मेदारी अहमदाबाद की भुगन इंफ्रा कंपनी को सौंपी, जोकि 2021 से अयोध्या में 145 किमी लंबी सीवर लाइन डालने का काम कर रही है। रामपथ में सीवर के मेनहोल बनाते समय उसकी प्रॉपर फिलिंग में कुछ कमियां रह गईं।

4. सीवर बनाने वाली कंपनी
रामपथ पर सीवर लाइन डालने का काम अहमदाबाद की कंपनी भुगन इंफ्राकॉन लिमिटेड को दिया गया था। ये कंपनी 2021 से अयोध्या में काम कर रही है। इसे 143 किमी सीवर लाइन डालने का काम मिला है। यूपी सरकार ने इस कंपनी को भी नोटिस जारी किया है।

सड़क बनाने वाली कंपनी की 5 साल की है गारंटी
PWD के जिम्मेदारों के मुताबिक, सड़क बनाने वाली कंपनी R&C इन्फ्राइंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड ने 5 साल की गारंटी होती है। अगर सड़क कहीं खराब होती है तो कंपनी इसे ठीक करवाएगी। इसके लिए कंपनी को अलग से कोई बजट नहीं दिया जाएगा। सड़क निर्माण के समय इसका एग्रीमेंट करवाया गया था।

निर्माण कंपनी में रामपथ के प्रोजेक्ट मैनेजर प्रदीप शुक्ला ने बताया- सड़क वहीं ज्यादा धंसी है, जहां पर सीवर के मेन होल हैं। 30 फिट गहरे गड्ढे बनाए गए थे। इसके बाद सीवर लाइन डाली गई। ऐसे में कुछ जगहों पर ये समस्या आई, इसे तुरंत सही कराया गया। बारिश में अक्सर ऐसी समस्या आ जाती है।

1050 घरों को तोड़ा गया, साज सज्जा में 30 करोड़ खर्च
रामपथ के निर्माण में करीब 1050 घरों को पूरा या आंशिक रूप से तोड़ा गया। तब जाकर सड़क का दो लेन चौड़ीकरण हुआ। इसमें 397 करोड़ रुपए जमीनों के अधिग्रहण के लिए लोगों को मुआवजा बांटने पर खर्च किए गए। जबकि सड़क निर्माण के लिए 311 करोड़ रूपए का बजट निर्धारित किया गया था।

करीब 13 किमी के इस रास्ते में 600 से ज्यादा पेड़ भी थे, जिन्हें काटना पड़ा। इसके अलावा रामपथ के दोनों ओर की दीवारों पर साज सज्जा, पेंटिंग, लाइटिंग के लिए भी 30 करोड़ खर्च किए गए। ये काम अयोध्या विकास प्राधिकरण यानी (ADA) ने करवाया था।

रामपथ के नीचे पाइप लाइन का जाल
सूत्रों के मुताबिक, रामपथ के नीचे एक दर्जन से ज्यादा यूटिलिटी डक्ट बनाए गए हैं। इसके करीब 10 फीट नीचे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की पाइप लाइन डाली गई है। 30 फीट नीचे सीवर पाइप लाइन अलग से डाली गई है। वाटर सप्लाई की दो लाइन, वाटर टैंक की दो पाइप लाइन, RCC डक्ट (बिजली के केबल और इंटरनेट वायर के लिए), डिवाइडर के नीचे स्टार्म वाटर ड्रेन, फुटपाथ के नीचे सीवर कनेक्शन चेम्बर सहित 1 दर्जन से ज्यादा पाइप लाइन डाली गईं।

रामपथ के नीचे कैसे पाइपलाइन का पूरा जाल फैला हुआ है। ग्राफिक्स से समझिए….

सड़क धंसते ही एक्टिव हुए जिम्मेदार
पहली बारिश होते ही रामपथ पर अलग-अलग जगहों पर करीब 13 गड्ढे हो गए। रिकाबगंज से पोस्ट ऑफिस तिराहे तक रामपथ सड़क 10 से ज्यादा जगहों पर धंस गई।

इससे न सिर्फ आवागमन बाधित हुआ बल्कि, लोगों में ये डर भी बना रहा कि सड़क कहां से धंस जाए और कोई दुर्घटना न हो जाए। हालांकि सड़क धंसते ही सारे जिम्मेदार विभाग जैसे PWD, जल निगम, नगर विकास तुरंत एक्टिव हुए और आनन-फानन में सड़कों पर हुए गड्ढों को भरने की कवायद शुरू हो गई। सड़क पर हुए गड्ढों में मिट्टी, बालू और गिट्टी डालकर भरी जा रही है। इसे फिर से आवागमन के लायक बनाया जा रहा है।

कंपनी के एमडी बोले-हमारा कोई फॉल्ट नहीं
सड़क के नीचे कई पाइप लाइन जल निगम ने भी डाली हैं। इसमें वाटर सप्लाई, सीवर लाइन की पाइप हैं। PWD के अफसरों के मुताबिक, सड़क पर सीवर लाइन के मेन होल के पास ही गड्ढे हुए हैं। ऐसे में इसकी जानकारी के लिए हमने जल निगम के अधिशासी अधिकारी आनंद दुबे से बात की। उन्होंने कहा- निर्माण का काम अहमदाबाद की कंपनी भुगन इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड ने किया था। हमारी टीम ने तकनीकी रूप से इसका निरीक्षण किया था।

हमने सीवर डालने वाली कंपनी के एमडी मनीष पटेल से बात की। उन्होंने बताया कि सीवर लाइन में MS पाइप का इस्तेमाल हुआ है। सभी ज्वाइंट्स को वेल्ड किया गया है, ऐसे में वहां से कोई फाल्ट नहीं हो सकता। अभी हमारी सीवर लाइन शुरू ही हुई है, क्योंकि नमामि गंगे द्वारा बनवाया जा रहा ट्रीटमेंट प्लांट अभी नहीं बन पाया है। 95% काम पूरा हो चुका है।

अब इस मसले पर एक्सपर्ट क्या कहते हैं…