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- ISRO Is Getting ready Area Vacationer Flight; There Will Be 3 Trials By The Finish Of The Yr
नई दिल्ली13 मिनट पहले
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देश के लोगों को अब जल्द ही अंतरिक्ष की सैर करने का मौका मिलने वाला है। इसको लेकर इसरो ( ISRO ) स्पेस टूरिस्ट फ्लाइट तैयार कर रहा है।
आने वाले समय में दुनियाभर में स्पेस टूरिज्म प्रोजेक्ट का मार्केट कई मिलियन डॉलर का होगा। इस रेस में जल्द भारत भी शामिल होगा।
स्वदेशी फ्लाइट तैयार करने में ISRO जुटा
साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर जितेंद्र सिंह का कहना है कि लो अर्थ ऑर्बिट यानी धरती की सबसे करीब सतह पर जाने के लिए स्पेस एजेंसियां स्वदेशी फ्लाइट तैयार करने में लगी हुई हैं। अंतरिक्ष में लोगों को घुमाने वाले मिशन को भारत ने ‘गगनयान मिशन’ नाम दिया है।
बता दें कि इसरो इस समय दुनिया के 61 देशों के साथ मिलकर स्पेस एक्टिविटी के कई क्षेत्रों में काम कर रहा है।
इसरो 61 देशों के साथ मिलकर स्पेस एक्टिविटी के कई क्षेत्रों में काम कर रहा है।
3 स्पेस कंपनियों ने पाई सफलता
अंतरिक्ष में लोगों को घुमाने के लिए दुनिया की 3 स्पेस कंपनियों ने अहम रोल निभाया है। इनमे सबसे पहली रिचर्ड ब्रैनसन की कंपनी Virgin Galactic, दूसरी जेफ बेजोस की कंपनी Blue Origin और एलन मस्क की SpaceX कंपनी है। इन कंपनियों के बाद चीन सहित कई दूसरे देश भी स्पेस टूरिज्म से जुड़े प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं।
2022 अंत तक गगनयान मिशन होगा लॉन्च
साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर जितेंद्र सिंह ने बताया कि गगनयान मिशन की तैयारी हो चुकी है। जल्द ही भारत 1 या 2 लोगों को स्पेस में भेजेगा। इसके लिए साल के अंत तक 2 ट्रायल किए जाएंगे।
दूसरे ट्रायल में व्योममित्रा नाम की एक महिला रोबोट को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
ऐसे होगा ट्रॉयल…
- पहले ट्रायल में स्पेस में ऐसी फ्लाइट भेजी जाएगी, जिसमें इंसान न हो।
- दूसरे ट्रायल में महिला रोबोट के साथ विमान अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
- तीसरे ट्रायल में 2 लोगों को स्पेस फ्लाइट में भेजा जाएगा।
वायुसेना के पायलट्स को दी ट्रेनिंग
डॉ. सिंह के मुताबिक, तीसरे मिशन की स्पेस फ्लाइट में दो इंसानों को भेजा जा सकेगा। ये लोग 7 दिन तक अंतरिक्ष में रहेंगे। मिशन के लिए भारतीय वायुसेना के चार पायलट्स को रूस भेजकर स्पेस ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग भी दी गई है। इन एस्ट्रोनॉट्स को ‘गगनॉट्स’ बुलाया जाएगा।
भारतीय वायुसेना के चार पायलट्स में एक ग्रुप कैप्टन हैं। बाकी तीन विंग कमांडर हैं, जिन्हें गगनयान मिशन के लिए तैयार किया जा रहा है। अभी इन्हें बेंगलुरू में गगनयान मॉड्यूल की ट्रेनिंग दी जाएगी।
गगनयान पर 10 हजार करोड़ का खर्च आएगा
गगनयान मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 को लालकिले से की थी। मिशन पर करीब 10 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इसके लिए 2018 में ही यूनियन कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी। भारतीय एस्ट्रोनॉट्स 7 दिन पृथ्वी के लोअर ऑर्बिट के चकार लगाएंगे। इनकी ट्रेनिंग के लिए ISRO ने रूस की अंतरिक्ष एजेंसी ग्लावकॉस्मोस से समझौता किया है।