अबतक 6 बार उठी देश का नाम बदलने की मांग‎: संयोग- 74 साल पहले 18 सितंबर 1946 को भी यही बात हुई थी

नई दिल्ली36 मिनट पहलेलेखक: मुकेश कौशिक/पवन कुमार

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क्या इसे महज इत्तेफाक माना जाए? ठीक 74 साल पहले संविधान सभा में एचवी कामथ ने देश का नाम इंडिया से बदल कर भारत या भारतवर्ष करने का संशाेधन प्रस्ताव पेश किया था। इस पर बहस हुई। हालांकि यह वोटिंग के बाद गिर गया था। तारीखों का नया संयाेग मंगलवार को दिखा, जब दो आमंत्रण पत्रों पर इंडिया की जगह भारत लिखा गया।

G20 समिट के मेहमानों को 9 सितंबर के डिनर के राष्ट्रपति भवन के इन्विटेशन कार्ड में राष्ट्रपति को प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा है।

वहीं, प्रधानमंत्री की आसियान समिट के लिए 7 सितंबर की इंडोनेशिया की यात्रा के फंक्शन नोट में ‘द प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत’ लिखा गया है।

अब जबकि संसद का विशेष सत्र 18 सितंबर को बुलाया गया है, तो कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार इंडिया दैट इज भारत की शब्दावली बदलने जा रही है?

विपक्ष ने कहा- संसद का विशेष सत्र नाम बदलने बुलाया
इस बीच विपक्ष ने INDIA बनाम भारत विवाद को लेकर सरकार पर तंज कसा है। जुलाई में विपक्षी गठबंधन का नाम ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) रखा गया था। इसके बाद भाजपा ने कहा, यह चुनाव इंडिया बनाम भारत है। देर रात, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने देश का नाम बदलने के लिए विशेष सत्र बुलाने की अटकलों को अफवाह बताया है।

ऐसे बदला जा सकता है नाम
अनुच्छेद 1 इंडिया और भारत दोनों नामों को मान्यता देता है। नाम बदलने के लिए संसद में संशोधन बिल लाना होगा। अनुच्छेद 368 के तहत दो तिहाई सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी। यानी लोकसभा के 356, राज्यसभा के 157 सदस्यों का समर्थन चाहिए।

1946 में संविधान सभा को सम्बोधित करते हुए जवाहरलाल नेहरू।

1946 में संविधान सभा को सम्बोधित करते हुए जवाहरलाल नेहरू।

यूं हुई बहस… आंबेडकर समिति ने दो नाम सुझाए थे… कामत ने विरोध में संशोधन प्रस्ताव दिया था
18 सितंबर 1949 को संविधान सभा में पहली बार देश के नामकरण पर चर्चा हुई। आंबेडकर समिति ने इंडिया और भारत दो नाम सुझाए थे। विरोध करते हुए फारवर्ड ब्लॉक के एचवी कामथ ने संशोधन प्रस्ताव पेश किया और इंडिया की जगह भारत नाम सुझाया। संशोधन प्रस्ताव 38 के मुकाबले 51 मत से गिर गया। इंडिया अर्थात भारत राज्यों का संघ नाम संविधान में दर्ज। यही नाम अनुच्छेद 1 में है।

संविधान सभा के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में बहस के अंश:

  • कामथ: दुनियाभर में नवजात बच्चे का नामकरण होता है। जल्द भारत का जन्म होने वाला है। कई सुझाव हैं। इनमें हिंदुस्तान, हिंद, भारतवर्ष, भारत, भारतभूमि प्रमुख हैं।
  • डाॅ. आंबेडकर (आपत्ति लेते हुए): प्रस्ताव का औचित्य समझ नहीं आता। क्या यह जरूरी है? (दो और सदस्य सहमत।)
  • कामथ: इंडिया दैट इज भारत कहना बेढंगा है। डाॅ. आंबेडकर ने संविधान प्रारूप बनाने में कई भूलें मानी हैं। इसे भी भूल मान लेना चाहिए। देश के नाम में इंडिया जोड़ना बड़ी गलती है। इसे भारत करने की जरूरत है।
  • कमलापति त्रिपाठी: बीच का रास्ता निकाला जा सकता है। देश का नाम इंडिया अर्थात भारत है। ऐतिहासिक मर्यादा को देखते हुए इसे भारत अर्थात इंडिया कर दें।
  • सेठ गोविंद दास: इंडिया हमारी किसी पुस्तक में नहीं मिलता। वेदों, उपनिषदों और महाभारत में भारत का उल्लेख है। विष्णु पुराण, ब्रह्म पुराण में भारत है। ह्वेन त्सांग ने भी अपनी पुस्तक में भारत लिखा है।

ड्राफ्ट में‎ सुधार कर इसमें इंडिया दैट इज भारत किया गया
देश का नाम एक बार फिर से इंडिया से बदल कर भारत करने की मांग ‎उठने लगी है। इससे पहले भी अब तक 6 बार यह मांग उठ चुकी है। ‎संविधान विशेषज्ञ पीडीटी अचारी ने कहा ‎कि जब पहली बार संविधान सभा ने संविधान का ड्राफ्ट पेश किया था,‎तो उसमें इंडिया दैट इज भारत शब्द कहीं नहीं लिखा था। उस ड्राफ्ट में‎ लिखा था कि इंडिया अर्थात भारत राज्यों का संघ। बाद में इस ड्राफ्ट में‎ सुधार कर इसमें इंडिया दैट इज भारत नाम डाला गया है।‎

5 सितंबर को यह इन्विटेशन कार्ड सामने आया, जिसमें प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा था। इसके बाद विवाद शुरू हुआ।

5 सितंबर को यह इन्विटेशन कार्ड सामने आया, जिसमें प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा था। इसके बाद विवाद शुरू हुआ।

संसद से सुप्रीम कोर्ट तक‎नाम बदलने की मांग

  • 2010: कांग्रेस सांसद शांताराम‎ नाइक ने प्राइवेट बिल पेश कर‎ संविधान से इंडिया शब्द हटाकर‎ भारत करने की मांग की।‎
  • 2012: शांताराम नाइक ने अपनी‎ मांग को फिर दोहराया।‎
  • 2015: योगी आदित्यनाथ ने‎ प्राइवेट बिल में देश का नाम ‎संविधान में इंडिया दैट इज भारत ‎की जगह इंडिया दैट इज‎ हिंदुस्तान करने की मांग की।‎
  • 2016: सुप्रीम कोर्ट में याचिका‎ दायर कर देश का नाम भारत ‎करने की मांग की गई थी।‎ तत्कालीन चीफ जस्टिस टीएस‎ ठाकुर ने रद्द कर दिया था।‎
  • 2020: सुप्रीम कोर्ट में फिर ऐसी‎ ही एक याचिका दायर हुई। इसे भी‎ सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।‎

मेलुहा से इंडिया तक ऐसे‎ बदलता गया देश के नाम‎
मेलुहा : सिंधु सभ्यता के लिए‎ मेसोपोटामिया के ग्रंथों में वर्णन।‎
भारत/भारतवर्ष: पुराणों में जिक्र। ‎भौगोलिक दृष्टि से भारत ‘दक्षिण‎ में समुद्र और उत्तर में बर्फ के‎ निवास’ के बीच स्थित है।‎
आर्यावर्त: मनुस्मृति में उत्तर में ‎हिमालय व दक्षिण में विंध्य के ‎बीच की जगह में इंडो-आर्यों की ‎जमीन के लिए प्रयोग किया ।‎
जम्बूद्वीप: जम्बूद्वीप (जामुन के ‎पेड़ों की जमीन) का वैदिक ग्रंथों ‎में उल्लेख है।‎
हिंद/हिंदुस्तान: सिंधु के पास‎ की जमीन के लिए सबसे पहले ‎पारसियों ने इस्तेमाल किया।‎
इंडिया: पारसियों से लेकर‎ यूनानियों ने इंडस का लिप्यांतरण ‎इंडिया के रूप में किया।‎

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