अजमेर सेक्स स्कैंडल के 6 दोषियों को उम्रकैद: 32 साल पहले 100 छात्राओं के साथ गैंगरेप किया था; 5-5 लाख का जुर्माना लगाया – Ajmer News

अजमेर में 32 साल पहले हुए देश के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल के 6 दोषियों को जिला अदालत ने 20 अगस्त, मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही उन पर 5-5 लाख का जुर्माना भी लगाया है।

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कोर्ट ने नफीस चिश्ती (54), नसीम उर्फ टार्जन (55), सलीम चिश्ती (55), इकबाल भाटी (52), सोहिल गनी (53), सैयद जमीर हुसैन (60) को उम्रकैद की सजा सुनाई। सजा सुनाते वक्त सभी 6 दोषी कोर्ट में थे। एक आरोपी इकबाल भाटी को एम्बुलेंस से दिल्ली से अजमेर लाया गया था। स्कैंडल के वक्त इन सभी की उम्र 20 से 28 साल थी।

सभी दोषियों को कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट लाया गया था। इन 6 आरोपियों के खिलाफ 23 जून 2001 को चार्जशीट पेश हुई थी। इसी साल जुलाई में सुनवाई पूरी हुई थी।

सभी दोषियों को कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट लाया गया था। इन 6 आरोपियों के खिलाफ 23 जून 2001 को चार्जशीट पेश हुई थी। इसी साल जुलाई में सुनवाई पूरी हुई थी।

साल 1992 में 100 से ज्यादा कॉलेज गर्ल्स के साथ गैंगरेप और उनकी न्यूड फोटो सर्कुलेट होने पर तहलका मच गया था। कई छात्राओं ने बदनामी के डर से सुसाइड कर लिया था। तत्कालीन सरकार ने यह केस सीआईडी-सीबी को सौंपा था। मामले में 18 आरोपी थे। 4 सजा भुगत चुके हैं।

4 को हाईकोर्ट दोष मुक्त कर चुका है। एक ने 30 साल पहले केस के दौरान ही सुसाइड कर लिया था। दो आरोपियों पर लड़के से कुकर्म का केस चला, इसमें एक सजा भुगत चुका है और एक पर केस चल रहा है। एक आरोपी फरार है और 6 पर फैसला आज आया है। इस ब्लैकमेल कांड पर एक फिल्म भी बन चुकी है। इस केस में 104 लोगों ने गवाही दी, 3 पीड़िताएं अपने बयान पर आखिर तक डटी रहीं। कोर्ट ने 208 पेज का फैसला सुनाया है।

पहले पढ़िए- 1992 का अजमेर सेक्स स्कैंडल क्या था…

18 आरोपियों में से 9 को पहले सुनाई जा चुकी सजा

  • इन 4 को उम्रकैद हुई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल की सजा में बदला : इशरत अली, अनवर चिश्ती, मोइजुल्लाह पुत्तन इलाहबादी, शम्सुद्दीन उर्फ माराडोना। इन्हें 2003 में सजा हुई थी, ये सभी रिहा हो चुके हैं।
  • इन 4 को उम्रकैद हुई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने बरी किया : परवेज अंसारी, महेश लुधानी, हरीश तोलानी, कैलाश सोनी। इन्हें लोअर कोर्ट ने 1998 में उम्र कैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने इन्हें दोषमुक्त कर दिया था। वहीं, नौवें आरोपी फारुख चिश्ती को लोअर कोर्ट ने 2007 में उम्र कैद की सजा सुनाई थी। 2013 में उसे भुगती हुई सजा पर ही हाईकोर्ट ने रिहा कर दिया था। इस तरह नौ आरोपियों को सजा सुनाई जा चुकी थी।
  • एक सुसाइड कर चुका : पुरुषोत्तम उर्फ बबली 1994 में केस चलने के दौरान सुसाइड कर चुका है। वह जमानत पर बाहर आया था। जहूर चिश्ती पर कुकर्म का केस चला, उसे 1997 में रिहा कर दिया गया।
  • आज इन 6 को सुनाई गई सजा : सोहेल गनी, नफीश चिश्ती, जमीर हुसैन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, नसीम उर्फ टारजन।
  • एक आरोपी अभी भी फरार : अलमास महाराज अभी फरार है, इसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया हुआ है।

6 दोषी कई साल से जेल में
काेर्ट ने आज जिन 6 दोषियों को सजा सुनाई, उनमें से सलीम चिश्ती 8 साल, नसीम उर्फ टारजन साढ़े 3 साल, नफीस चिश्ती पौने 8 साल, सोहेल गनी डेढ़ साल, इकबाल भाटी साढ़े 3 साल की सजा ऑलरेडी काट चुके हैं। वहीं जमीन हुसैन एंटीसिपेटरी बेल पर था। इनके वकील अजय वर्मा ने बताया कि आगे हाईकोर्ट में अपील करेंगे। इकबाल भाटी के लिए पैरोल मांगी गई थी, जो जज ने खारिज कर दी है। अब जेल प्रशासन ही अजमेर के JLN में इकबाल का इलाज कराएगा।

6 लड़कियों ने सुसाइड कर लिया था
आरोपियों ने रील डेवलप करने के लिए लैब में दी थी। न्यूड तस्वीरें देख लैब के कर्मचारियों की नीयत बिगड़ गई थी। उनके माध्यम से ही लड़कियों की न्यूड फोटो बाजार में आई। मास्टर प्रिंट कुछ लोगों के पास ही थे, लेकिन इनकी जेरोक्स कॉपी शहर में सर्कुलेट होने लगी। ये फोटो, जिसके भी हाथ में लगी, उसने लड़कियों को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। इस कारण कॉलेज की 6 लड़कियों ने सुसाइड कर लिया।

इतने साल तक सजा से कैसे बचते रहे दोषी?

  • साल 2003 तक केस के 7 आरोपी नफीस चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस वाइस प्रेसिडेंट), अनवर चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस जॉइंट सेक्रेटरी), इकबाल भाटी, सलीम चिश्ती, सोहेल गनी, जमीर हुसैन, अल्मास महाराज और नसीम उर्फ टारजन मामले में फरार चल रहे थे। सातों ने पुलिस की लापरवाही का फायदा उठाया।
  • आरोपियों को अच्छे से पता था कि हर आरोपी की गिरफ्तारी के बाद पुलिस नई चार्जशीट पेश करेगी और कोर्ट में अलग से ट्रायल चलेगा। इसे ध्यान में रखते हुए नफीस चिश्ती, अनवर चिश्ती, इकबाल भाटी, सलीम चिश्ती, सोहैल गनी, जमीर हुसैन और नसीम उर्फ टारजन ने लंबे अंतराल के बाद पुलिस के सामने सरेंडर किया।
  • साल 2003 में नफीस चिश्ती और नसीम उर्फ टारजन को अलग-अलग इलाहाबाद और दिल्ली के धौला कुआं इलाके से पकड़ा गया। 2004 में दोनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश होने के बाद कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ। साल 2005 तक मामले में 52 गवाहों के बयान भी हो गए थे, लेकिन तभी इसी मामले में एक और आरोपी इकबाल भाटी को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया गया। इस गिरफ्तारी के बाद नफीस चिश्ती और नसीम का ट्रायल रोक दिया गया।
  • इकबाल भाटी की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में एक और चार्जशीट पेश की गई। अब नफीस चिश्ती, नसीम और इकबाल भाटी के खिलाफ नए सिरे से ट्रायल शुरू किया गया है। उन्हीं गवाहों को फिर से कोर्ट में बुलाया गया, जिनके बयान पहले भी हो चुके थे। इस बार कोर्ट में 20 गवाहों के बयान हुए।
  • साल 2012 में आरोपी सलीम चिश्ती भी पुलिस के हत्थे चढ़ गया। वहीं जमीर हुसैन भी अग्रिम जमानत मिलने के बाद विदेश से यहां आया था। साल 2001 में वह अमेरिका की नागरिकता हासिल कर चुका था।
  • एक बार फिर ट्रायल रोक दिया गया। सलीम चिश्ती और जमीर हुसैन के खिलाफ नई चार्जशीट पेश की गई। इसके बाद नफीस चिश्ती, नसीम, इकबाल भाटी, सलीम चिश्ती और जमीर हुसैन के खिलाफ नए सिरे से ट्रायल स्टार्ट हुआ। गवाहों को फिर कोर्ट में बुलाया गया। इस बार 69 गवाहों ने कोर्ट में बयान दिए।
  • ट्रायल चल ही रहा था कि साल 2018 में एक और आरोपी सोहैल गनी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। एक बार फिर ट्रायल रोक दिया गया। मामले की एक और नई चार्जशीट पेश हुई और फिर से ट्रायल शुरू हुआ।
  • आखिरकार अब 104 गवाहों के बयानों के बाद साल 2024 के जुलाई महीने में इस मामले में अंतिम बहस पूरी हुई और 20 अगस्त को 6 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

अलग-अलग चार्जशीट पेश करना पुलिस की गलती
पहली चार्जशीट 8 आरोपियों के खिलाफ और इसके बाद 4 अलग-अलग चार्जशीट 4 आरोपियों के खिलाफ थीं। इसके बाद भी पुलिस ने 6 अन्य आरोपियों के खिलाफ 4 और चार्जशीट पेश की। जानकारों के मुताबिक यहीं पुलिस ने सबसे बड़ी गलती कर दी, जिस वजह से 32 साल बाद भी केस में इंसाफ नहीं हो पाया है।

पुलिस को हर बार नए आरोपी की गिरफ्तारी के बाद नई चार्जशीट पेश करनी पड़ी। पहले से चले ट्रायल को रोक कर दोबारा से नए सिरे से ट्रायल चलाया गया। इसके चलते पीड़िताओं और गवाहों को भी कोर्ट में एक ही बयान के लिए बार-बार आना पड़ा।

ब्लैकमेल कांड पर बन चुकी है फिल्म
अजमेर के इस कांड पर एक फिल्म भी बन चुकी है। इसका निर्देशन पुष्पेन्द्र सिंह ने किया था। भारी विरोध के कारण इसकी रिलीज दो बार टालनी पड़ी थी, हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं दिखा सकी।

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