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शिमला15 घंटे पहले
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हिमाचल कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने वॉशिंगटन एप्पल के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि PM मोदी को देश के बागवानों की फिक्र नहीं हैं, उन्हें अमेरिका के सेब की चिंता है।
हिमाचल में बागवानों के सेब बगीचे भारी बारिश, बाढ़ व लैंडस्लाइड से तबाह हुए हैं। ऐसे में उन्हें मदद की जरूरत है। मगर केंद्र सरकार वॉशिंगटन एप्पल पर इंपोर्ट-ड्यूटी घटाकर उन्हें चिंता में डाल रही है। प्रतिभा सिंह ने कहा कि इंपोर्ट-ड्यूटी घटाने से हिमाचल का सेब उद्योग नष्ट हो जाएगा।
हालांकि मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री प्रेस नोट जारी करके सफाई दे चुका है कि वॉशिंगटन एप्पल पर इंपोर्ट ड्यूटी 70 प्रतिशत से कम करके 50 फीसदी की गई है। मगर कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी और सुप्रीया श्रीनेत ने इसे इसे 50 फीसदी से घटाकर 15 प्रतिशत करने का दावा किया है। यदि ऐसा किया गया तो हिमाचल के सेब को देश के बाजार में खरीददार नहीं मिलेगा।
बागवानों को बर्बाद करना चाह रहे: सोहन
एप्पल फॉर्मर फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सोहन ठाकुर ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी देश के सेब बागवानों को बर्बाद करना चाह रहे हैं। जम्मू कश्मीर और हिमाचल से बड़ी मात्रा में सेब का बांग्लादेश के लिए निर्यात किया जाता है। इस पर प्रधानमंत्री ने 100 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी है और देश के लिए आयात वाले सेब पर इंपोर्ट-ड्यूटी कम की जा रही है।
उन्होंने कहा कि पहले इसे 70 फीसदी से घटाकर 50 प्रतिशत किया गया। अब 15 प्रतिशत करने की तैयारी है। इससे हिमाचल में हजारों परिवारों की रोजी रोटी उनसे छिन जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने सेब पर 100 प्रतिशत इंपोर्ट-ड्यूटी करने का वादा किया था। वादा पूरा करना तो दूर नरेंद्र मोदी पहले से लगी हुई इंपोर्ट ड्यूटी भी खत्म करते जा रहे हैं।
बर्बाद हो जाएगा सेब उद्योग: बिष्ट
प्रोग्रेसिव ग्रोवर एसोसिएशन (PGA) के अध्यक्ष लोकेंद्र बिष्ट ने बताया कि यदि वॉशिंगटन एप्पल पर इंपोर्ट ड्यूटी 15 प्रतिशत की गई तो इससे हिमाचल सहित कश्मीर व उत्तराखंड में भी सेब व्यवसाय बर्बाद हो जाएगा। खासकर जब पहाड़ों पर उत्पादन लागत कई गुणा बढ़ गई है। वहीं अमेरिका जैसे विकसित देश खेतीबाड़ी-बागवानी के प्रोत्साहन के लिए सब्सिडी दे रहे हैं।
GDP में 6000 करोड़ रुपए से ज्यादा का योगदान
प्रगतिशील बागवान आशुतोष चौहान ने बताया कि इंपोर्ट-ड्यूटी घटाने से प्रदेश का बागवान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाएगा। इससे हिमाचल की GDP में 6000 करोड़ रुपए से ज्यादा का योगदान देने वाला सेब उद्योग तबाह हो जाएगा। हजारों लोगों को रोजगार देने वाली इंडस्ट्री के लोग नौकरी के लिए भागेंगे।
बागवानों की चिंता का कारण ये सरकारी आंकड़े
इस खबर के बाद बागवानों की चिंताएं बढ़नी शुरू हो गई है। इनकी चिंता का कारण मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के आंकड़े हैं। मंत्रालय के अनुसार, साल 2017-18 में जब वॉशिंगटन एप्पल पर इंपोर्ट ड्यूटी 50% थी, तब वॉशिंगटन से भारत के लिए 1,27,908 मीट्रिक टन एप्पल इंपोर्ट किया गया था।
साल 2018 में सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर 70% की गई। इसके बाद वित्त वर्ष 2022-23 में वॉशिंगटन से सेब का इंपोर्ट कम होकर मात्र 4,486 टन रह गया। यानी इंपोर्ट ड्यूटी 50 से 70 प्रतिशत करने के बाद सेब का आयात 29 गुणा कम हो गया। जब यह घटकर 15% हो जाएगी, तो सेब का आयात कई गुणा बढ़ेगा।
हिमाचल के बागवानों को इसलिए खतरा
हिमाचल के बागवान अभी सात से आठ मीट्रिक टन सेब प्रति हेक्टेयर पैदा कर रहे हैं, जबकि वॉशिंगटन में 60 से 70 मीट्रिक टन सेब की पैदावार प्रति हेक्टेयर हो रही है। हिमाचल में कम उत्पादन के कारण अभी प्रति किलो लागत मूल्य 25 से 26 रुपए के आसपास बनता है और सेब आयात बढ़ने के बाद देश के बाजारों में हिमाचल के सेब की मांग खत्म हो जाएगी।