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नई दिल्ली11 मिनट पहले
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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं।
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि किसी मामले का गुण-दोष मीडिया में दिखाए जाने वाले से काफी अलग हो सकता है। मैंने A से लेकर Z (अर्नब गोस्वामी से लेकर जुबैर तक) को जमानत दी है। यही मेरी फिलॉसफी है। जमानत नियम है और जेल अपवाद है, इस सिद्धांत का मुख्य रूप से पालन किया जाना चाहिए।
उन्होंने ये भी कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब हमेशा सरकार के खिलाफ फैसला सुनाना नहीं होता। लेकिन कुछ प्रेशर ग्रुप इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का यूज करके अदालतों पर दबाव डालकर अपने पक्ष में फैसला सुनाने की कोशिश कर रहे हैं।
परंपरागत रूप से न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कार्यपालिका से स्वतंत्रता के रूप में परिभाषित किया जाता था। न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब अब भी सरकार से स्वतंत्रता है। लेकिन न्यायपालिका की स्वतंत्रता के मामले में केवल यही बात नहीं है।
अदालतों पर दबाव डालते हैं प्रेशर ग्रुप उन्होंने कहा कि हमारा समाज बदल गया है। खासकर सोशल मीडिया के आने से इंटरेस्ट ग्रुप, प्रेशर ग्रुप इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का यूज करके अदालतों पर उनके पक्ष में फैसला लेने के लिए दबाव डालने की कोशिश कर रहे हैं।
सीजेआई ने कहा कि अगर जज इन प्रेशर ग्रुप के पक्ष में फैसला देते हैं तो ये ग्रुप न्यायपालिका को स्वतंत्र कहते हैं। अगर जज ऐसा नहीं करते हैं तो न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं हैं। इसी बात पर मेरी आपत्ति है।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्र होने के लिए एक न्यायाधीश के पास यह निर्णय लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए कि उनका विवेक उन्हें क्या बताता है। निश्चित तौर पर ये विवेक कानून और संविधान द्वारा निर्देशित होता है।
जजों को फैसले की छूट दी जानी चाहिए चंद्रचूड़ ने कहा कि मुझे स्वतंत्र तब कहा गया जब मैंने सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया और चुनावी बॉन्ड को रद्द कर दिया।
उन्होंने कहा कि जब आप चुनावी बॉन्ड पर फैसला करते हैं, तो आप बहुत स्वतंत्र होते हैं, लेकिन अगर सरकार के पक्ष में फैसला आता है, तो आप स्वतंत्र नहीं हैं। ये स्वतंत्रता की मेरी परिभाषा नहीं है। न्यायाधीशों को मामलों पर फैसला करने की छूट दी जानी चाहिए।
किसी मामले का गुण-दोष मीडिया में दिखाए जाने से अलग कार्यक्रम में सीजेआई से दिल्ली दंगों मामले में जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई में देरी को लेकर सवाल किया गया। सीजेआई ने जवाब में कहा- किसी मामले का गुण-दोष मीडिया में दिखाए जाने से काफी अलग हो सकता है।
उन्होंने कहा कि अक्सर मीडिया में किसी मामले के एक खास पहलू या माहौल को पेश किया जाता है। जब कोई न्यायाधीश किसी मामले के रिकॉर्ड पर ध्यान देता है, तो जो सामने आता है वह उस विशेष मामले के गुण-दोष के आधार पर मीडिया में दिखाए से काफी अलग हो सकता है। न्यायाधीश संबंधित मामलों पर ध्यान देता है और फिर मामले का फैसला करता है।
सीजेआई ने कहा- एक जज किसी मामले की सुनवाई करते समय अपने दिमाग का इस्तेमाल करता है। और बिना किसी पक्षपात के उसके गुण-दोष के आधार पर फैसला करता है। मीडिया में एक विशेष मामला महत्वपूर्ण हो जाता है और फिर उस विशेष मामले पर अदालत की आलोचना की जाती है।
मैंने जमानत के मामलों को प्राथमिकता दी उन्होंने कहा कि सीजेआई का पद संभालने के बाद मैंने जमानत के मामलों को प्राथमिकता देने का फैसला किया, क्योंकि ये व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा मामला है। ये तय किया गया कि सुप्रीम कोर्ट की हर बेंच को कम से कम 10 जमानत के मामलों की सुनवाई करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि 9 नवंबर 2022 से 1 नवंबर 2024 के बीच सुप्रीम कोर्ट में 21 हजार जमानत के मामले दायर किए गए। इस अवधि के दौरान 21358 जमानत के मामलों का निपटारा किया गया। इसी दौरान मनी लॉन्ड्रिंग 967 मामलों में से 901 का निपटारा किया गया। हाल के महीनों में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक दर्जन पॉलिटिकल केस में जमानत दी गई है।
अर्नब गोस्वामी से लेकर जुबैर तक को जमानत दी चंद्रचूड़ ने कहा- अपनी बात करूं तो मैंने A से लेकर Z (अर्नब गोस्वामी से लेकर जुबैर तक) को जमानत दी है और यही मेरा फिलॉसफी है। जमानत नियम है और जेल अपवाद है, इस सिद्धांत का मुख्य रूप से पालन किया जाना चाहिए, लेकिन अभी तक इसे ट्रायल कोर्ट तक नहीं पहुंचाया गया है।
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CJI चंद्रचूड़ बोले- मेरे रिटायरमेंट के बाद कोर्ट सुरक्षित हाथों में: राजनीति में परिपक्वता जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- जस्टिस संजीव खन्ना बेहद शांत इंसान हैं। गंभीर और विवादित मामलों में भी मुस्कुरा सकते हैं। मेरे रिटायरमेंट के बाद कोर्ट सुरक्षित हाथों में है। CJI चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो जाएंगे। उनके बाद जस्टिस संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के 51वें चीफ जस्टिस होंगे। वे 11 नवंबर को पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे। पूरी खबर पढ़ें…