4 घंटे पहलेलेखक: आशीष उरमलिया और देवांशु तिवारी
रविवार को राधा रानी के जन्मदिन पर बरसाना से लेकर नंदगांव तक घरों को सजाया गया है। ये दोनों जगह 5000 साल से कृष्ण-राधा के रिश्ते को संभाल कर रखे हुए हैं। नंदगांव और बरसाना के रहने वाले आपस में ससुराल की रस्म निभाते हैं। द्वापर युग से लेकर आज तक नंदगांव की लड़कियों की शादी बरसाना में नहीं होती है। फिर भी नंदगांव में रहने वाला हर लड़का कहता है कि बरसाना मेरी ससुराल है।
बरसाना से नंदगांव की दूरी 10 किमी है। दोनों गांव पहाड़ियों पर बसे हैं। राधा रानी के जन्मदिन पर भास्कर की टीम इन गांवों में पहुंची। हमने 5000 साल से चली आ रही इस परंपरा को यहां के लोगों से समझने की कोशिश की है। चलिए राधाअष्टमी पर आपको बारी-बारी बरसाना और नंदगांव की सैर कराते हैं…
बरसाने के लोगों ने आज तक नहीं पिया नंदगांव का पानी
मथुरा जिले से 50 किमी दूर है नगर पंचायत बरसाना। यहां की आबादी 26 हजार है।
बरसाना के रहने वाले घनश्याम कपड़े के व्यापारी हैं। उनका काम के सिलसिले में हर दूसरे दिन मथुरा और नंदगांव आना-जाना रहता है। नंदगांव और बरसाना के रिश्ते पर घनश्याम कहते हैं, “हम लाडली जी (राधा) के मायके से हैं और नंदगांव का रहने वाला हर व्यक्ति हमारे मान्य जैसा है। कृष्ण काल से लेकर आज तक जब भी कोई व्यक्ति नंदगांव जाता है, तो भले ही वह प्यास से तड़प जाए, लेकिन नंदगांव का पानी नहीं पीता। ये परंपरा ऐसी है कि लोग नंदगांव की दुकानों से खरीद कर भी पानी नहीं पीते।”
घनश्याम मुस्कुराते हुए आगे कहते हैं, “हम जब भी नंदगांव की तरफ जाते हैं, तो पानी साथ में रखते हैं। यहां तक कि सामान भी नंदगांव वालों को डिस्काउंट पर दे देते हैं।”
ब्रह्मा जी ने करवाया था राधा और कृष्ण का विवाह
पंडित अभिषेक शास्त्री ने बताया कि राधा-कृष्ण के विवाह के बाद से नंदगांव का रहने वाला हर लड़का बरसाना का दामाद माना जाता है।
बरसाना के पंडित अभिषेक शास्त्री कहते हैं, “ब्रह्म पुराण और गर्ग संहिता के अनुसार ब्रह्मा जी ने भांडीर वन में राधा और कृष्ण का विवाह करवाया था। इसी के बाद से चली आ रही परंपरा में नंदगांव और बरसाना में कभी कोई वैवाहिक संबंध नहीं हुआ। नंदगांव का हर बालक कृष्ण के सखा और बरसाना की हर लड़की को राधा के रूप माना जाता है।”
नंदगांव-बरसाना में शादी हुई तो लोग भूल जाएंगे राधा-कृष्ण का प्रेम
नंदगांव में राधाअष्टमी के दिन लड़कियां अपने घर की चौखट पर झूला डालती हैं और राधा रानी की वेषभूषा में खुद को सजाती हैं। तस्वीर में दिख रहे प्रमोद शास्त्री ने ये बात बताई।
25 साल से नंदगांव में मिठाई की दुकान चलाने वाले प्रमोद शास्त्री कहते हैं, “हमारे घर के बड़े-बुजुर्ग हमेशा से यह कहते आए हैं कि बरसाना का सिर्फ एक ही दामाद रहेगा, वो है कान्हा और नंदगाव की बहू भी सिर्फ एक ही रहेगी, वो है राधा रानी। ये रीति सदियों से चली रही है। यहां ऐसा मानना है कि अगर नंदगांव-बरसाना के बीच कोई रिश्ता हुआ, तो लोग राधा-कृष्ण के अमर प्रेम को भूल जाएंगे।”
लट्ठमार होली में नंदगांव से आए लड़कों का दामाद जैसा होता है स्वागत
बरसाना में हर साल खेली जाने वाली लट्ठमार होली।
श्रीलाडली जी मंदिर के महंत गोस्वामी लाल कहते हैं, “भगवान कृष्ण अपने सखाओं के साथ बरसाने होली खेलने आते थे। कृष्ण और उनके दोस्त यहां राधा और उनकी सहेलियों संग मजाक करते थे। इस बात से राधा और उनकी सखियां गुस्सा हो जाती थीं और कान्हा के साथ ही उनके मित्रों पर डंडे बरसाया करती थीं। लाठियों से बचने के लिए कृष्ण और उनके साथी ढाल का प्रयोग करते थे। लाठियों के साथ होली खेलने का तरीका धीरे-धीरे परंपरा बन गया।”
महंत गोस्वामी आगे कहते हैं, “हर साल लट्ठमार होली पर नंदगांव के हुरियारे यानी के पुरुष बरसाना आकर यहां की महिलाओं को भाभी कहकर छेड़ते हैं। इसके बाद महिलाएं उन पर लाठियां बरसाती हैं। ये सभी प्रेम भाव के बीच होता है। बरसाना में नंदगांव से आए लोगों का दामाद जैसा स्वागत होता है।”
आखिर में 5 ग्राफिक के जरिए राधा-कृष्ण से जुड़ी अनोखी बातें जान लेते हैं…