राजकोट गेम जोन हादसा, पीड़ित परिवारों से भास्कर की बातचीत: अपनों लोगों के चेहरे देखने एम्स और सिविल अस्पताल के लगा रहे चक्कर – Gujarat News

राजकोट के सिविल हॉस्पिटल में रात भर इसी तरह की अफरा-तफरी का माहौल रहा।

सिस्टम केवल लोगों को बेवकूफ बनाने का काम कर रहा है। बिना जांच-परख के किसी को भी जिम्मेदारी दे दी जाती है। ये शब्द एक पिता के हैं, जो अपने बेटे का चेहरा देखने के लिए पूरी रात से सिर पकड़कर अस्पताल की लॉबी में बैठे हैं। राजकोट के टीआरबी गेम जोन में लगी

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राजकोट के गेम जोन में शनिवार की शाम लगी आग में अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं, 10 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं। अब तक किसी भी शव की पहचान नहीं हो सकी है। इसके लिए डीएनए टेस्ट कराया जा रहा है। आधे शव एम्स तो आधे शव सिविल अस्पताल में रखे हुए हैं। पीड़ित परिवार दोनों हॉस्पिटल के चक्कर लगा रहे हैं। दिव्य भास्कर ने कुछ परिजनों से बात करने की कोशिश की।

24 साल के अक्षय ढोलारिया और 20 साल की ख्याति सावलिया। (दोनों की यह फोटो कोर्ट मैरिज के दौरान की है।)

24 साल के अक्षय ढोलारिया और 20 साल की ख्याति सावलिया। (दोनों की यह फोटो कोर्ट मैरिज के दौरान की है।)

कनाडा से राजकोट आया कपल लापता
हादसे में कनाडा से आया एक कपल भी लापता है। राजकोट में रहने वाले 24 साल के अक्षय ढोलारिया और 20 साल की ख्याति सावलिया कुछ दिन पहले ही कनाडा से राजकोट आए थे। दोनों की कोर्ट मैरिज हो चुकी है और दिसंबर में हिंदू रीति-रिवाजों से शादी होने वाली थी।

ख्याति के परिवार ने बताया कि दोनों कल दोपहर करीब 3 बजे गेम जोन पहुंचे थे। शाम को करीब पौने पांच बजे हमें मीडिया से गेम जोन में आग लगने की खबर मिली तो दोनों के परिवार वहां पहुंचे। इसके बाद रात को सिविल अस्पताल पहुंचे। दोनों परिवारों के डीएनए टेस्ट लिए जा चुके हैं, लेकिन हमारे कहां हैं, कुछ पता नहीं चल रहा है।

संतोषबेन (बायीं ओर) अपनी 20 साल की छोटी बहन आशा की तलाश कर रही हैं।

संतोषबेन (बायीं ओर) अपनी 20 साल की छोटी बहन आशा की तलाश कर रही हैं।

कहां है मेरी बहन: संतोषबेन
संतोषबेन काठाड ने बताया कि मेरी 20 साल की छोटी बहन आशा टीआरपी मॉल में काम करती है। कल से ही वह गुम है। जब मैंने मैनेजर से पूछा कि मेरी बहन कहां है तो उसने कहा- बहन मुझे अभी कुछ समझ नहीं आ रहा है। मैं भी लोगों को खोज रहा हूं। आगे संतोषबेन ने बिलखते हुए इतना ही कहा- मेरी बहन ने बताया था वहां 70 लोगों का स्टाफ था।

बेटे यश (बायीं ओर) की तलाश में सिविल अस्पताल के बाहर बिलखते हुए प्रवीणभाई।

बेटे यश (बायीं ओर) की तलाश में सिविल अस्पताल के बाहर बिलखते हुए प्रवीणभाई।

गांव से यहां नौकरी करने आया था मेरा बेटा: प्रवीणभाई
सिविल अस्पताल में ही हमारी मुलाकात कल्पेश बागड़ा के परिवार से हुई। कल्पेश इसी गेम जोन में काम करते थे, जो लापता हैं। कल्पेश के पिता प्रवीणभाई ने बताया कि वे रबारिका गांव रहने वाले हैं। कुछ समय पहले ही रोजगार की तलाश में बेटा राजकोट आया था।

बेटे को इसी गेम जोन में जॉब मिल गई थी। उन्होंने आगे कहा- जब से घटना की सूचना मिली है, हम बेटे की तलाश में इधर-उधर घूम रहे हैं। समझ नहीं आ रहा है कि कहां जाएं, किससे बात करें। कहीं से भी कोई जानकारी नहीं मिल रही है। सुबह 5 बजे डीएनए टेस्ट के लिए फोन आया था।

भास्कर से बात करते हुए यश पटोलिया, जो हादसे के दौरान गेम जोन के रिसेप्शन पर ही थे।

भास्कर से बात करते हुए यश पटोलिया, जो हादसे के दौरान गेम जोन के रिसेप्शन पर ही थे।

बचाना चाहा, लेकिन हमारा बस नहीं चला: यश
यश पटोलिया ने कहा- कल हम लोग रिसेप्शन में बैठे थे। तभी वहां आग लग गई। आग 10 सेकेंड में ही पूरे एरिया में फैल गई थी। मौजूद स्टाफ ने एक्सटिंग्विशर से आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन आग पर काबू नहीं पाया जा सका और लोग जान बचाने के लिए बाहर भागने लगे। यश ने बताया कि मेरे सामने पांच से ज्यादा लोग थे, जिनमें एक आंटी के दो लड़के और उनके पति भी शामिल थे।

सभी लोग आग में घिरे थे। गेम जोन में चारों तरफ आग फैल गई थी। मेन गेट भी रिनोवेशन का काम चल रहा था। पास ही पेट्रोल-डीजल के डिब्बे भी थे, जिन्हें लोग हटा रहे थे। यहीं पर वेल्डिंग के गैस सिलेंडर भी रखे थे। हम कुछ लोगों ने मेन गेट की सीढ़ीयों से ऊपर जाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे।

एम्स अस्पताल में ही उपकरणों की कमी
जैसे ही हम आगे बढ़े, आग में लापता एक और शख्स सुरपाल सिंह के परिवार से सामना हुआ। उन्होंने सिस्टम के खिलाफ गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि सिस्टम सिर्फ लोगों को उल्लू बनाने का काम कर रहा है। कोई भी कुछ कहने को तैयार नहीं है।

लापता लोगों में कितने घायल हैं, इसकी भी जानकारी नहीं मिल रही है। मृतकों में आधे लोगों के शव एम्स तो कुछ शव सिविल अस्पताल में रखे गए हैं। इसके चलते लोग दोनों हॉस्पिटल के चक्कर लगा रहे हैं। अस्पतालों से कोई जानकारी नहीं मिल रही है।

एक अन्य चश्मदीद के मुताबिक- कालावड रोड स्थित इस गेम जोन में वीकेंड की वजह से 500 रुपए का टिकट 99 रुपए में दिया जा रहा था, इसलिए भीड़ ज्यादा थी। टीआरपी गेम जोन के मालिक युवराज सिंह सोलंकी, पार्टनर प्रकाश जैन, राहुल राठौड़ और मैनेजर नीतिन जैन को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। हादसे के बाद चारों ने फोन बंद कर लिया था।

आग कैसे लगी: किराए की 2 एकड़ जमीन पर तीन मंजिला गेम जोन 2020 में बनाया गया था। इसका स्ट्रक्चर लकड़ी और टीन शेड पर खड़ा था। कई जगह रिपेयरिंग और रेनोवेशन का काम भी चल रहा था। एक जगह सीढ़ी पर वेल्डिंग के दौरान निकली चिंगारी से ब्लास्ट हुआ और आसपास आग लग गई।

आग तेजी से क्यों फैली: गेम जोन का डोम कपड़े और फाइबर से बना था। स्ट्रक्चर लकड़ी, टीन और थर्मोकोल शीट से बनाया गया था। फर्श पर भी रबड़, रैग्जिन और थर्मोकोल लगा था। इसके अलावा गेज जोन में 2 हजार लीटर डीजल और 1500 लीटर पेट्रोल भी स्टोर किया गया था। इसलिए आग कुछ मिनटों में ही तेजी से फैल गई।

ज्यादा नुकसान की वजह: चश्मदीद के मुताबिक​​​​, आग नीचे से ऊपर तक कुछ ही मिनटों में फैल गई थी। तीन मंजिला स्ट्रक्चर में नीचे से ऊपर जाने के लिए केवल एक सीढ़ी थी। दूसरी और तीसरी मंजिल के लोगों को भागने का मौका नहीं मिला।

अधिकारी क्या बोले: कलेक्टर आनंद पटेल ने कहा, शव इतनी बुरी तरह जले हैं कि पहचान मुश्किल है। डीएनए टेस्ट कराना होगा। राजकोट के सभी गेम जोन बंद कर दिए गए हैं। पुलिस कमिश्नर राजू भार्गव के मुताबिक, टीआरपी गेम जोन के पास फायर एनओसी तक नहीं थी। सरकार ने जांच के लिए SIT बनाई है।

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