हरियाणा चुनाव के लिए BJP ने 21 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी। इस लिस्ट में पार्टी का सर्वे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का फीडबैक सबसे दमदार रहा। यह जिनके पक्ष में था, उन्हें हारने के बावजूद टिकट मिला। इनमें 4 बड़े चेहरे शामिल हैं। जिनके ख
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इस लिस्ट में भाजपा ने केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत को खुश करने की कोशिश की। इस बार उनके विरोध पर 2 सिटिंग विधायकों की टिकट काट दी। पहले जारी 67 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में उनके विरोध काे दरकिनार कर उनके 4 कट्टर विरोधियों को टिकट दिया गया था।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर को भी हाईकमान ने झटका दिया है। उनके विरोध के बावजूद पटौदी से बिमला चौधरी को टिकट दे दी। 2019 में खट्टर ने टिकट कटवा दी। इस बार राव की सिफारिश चल गई। खट्टर के करीबी रहे विधायक बनवारी लाल और सत्यप्रकाश जरावता का टिकट काट दिया गया।
अहीरवाल बेल्ट वाली दक्षिण हरियाणा में अपने गढ़ में भाजपा हाईकमान ने जमकर उलटफेर किया। यहां भाजपा ने 5 सिटिंग विधायकों का टिकट काट दिया। इस लिस्ट में भाजपा ने एक मुस्लिम नेता का टिकट भी काट दिया। जिन 2 मुस्लिम नेताओं पर भरोसा जताया, वहां मुस्लिम वोट बैंक के दूसरे वर्ग से बड़ा होने की मजबूरी रही।
एंटी इनकंबेंसी से बचने के लिए 18 नए चेहरे उतार दिए। जीटी रोड बेल्ट में भी नए चेहरों को मौका देने से गुरेज नहीं किया।
विधायकों के टिकट काटने के कारण
- हथीन, होडल, बड़खल, गन्नौर ऐसी सीटें हैं, जहां पार्टी के कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि RSS के लोग भी विधायकों की परफॉर्मेंस से नाराज थे।
- पटौदी सीट पर केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत का विरोध विधायक सत्यप्रकाश जरावता को ले डूबा। लोकसभा चुनाव में गुरुग्राम सीट से राव को यहां से अच्छा समर्थन नहीं मिला।
- बावल से डॉ. बनवारी लाल पहले राव इंद्रजीत के करीबी थे। वह मंत्री तक बने। मगर, उसके बाद तत्कालीन सीएम खट्टर के करीबी हो गए। जिससे राव इंद्रजीत नाराज थे।
- राई से मोहन लाल बड़ौली को टिकट नहीं मिली। चूंकि वह इस वक्त पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। पार्टी में एक पद, एक व्यक्ति की नीति के चलते उनकी चुनाव लड़ने की इच्छा पूरी नहीं हाे पाई।
जातीय समीकरण ऐसे साधा…
लोकसभा में नाराजगी देख सबसे ज्यादा SC चेहरों को टिकट इस लिस्ट में सबसे ज्यादा 4 उम्मीदवार SC वर्ग से हैं। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जाट के बाद सबसे ज्यादा एससी वर्ग से ही नुकसान हुआ। ऐसे में कृष्ण कुमार बेदी, बिमला चौधरी को दोबारा से टिकट दिया गया है। 2019 में कृष्ण बेदी पिछला चुनाव हार गए थे और बिमला चौधरी का पार्टी ने टिकट काट दिया था। जबकि एससी वर्ग से ही आने वाले स्वास्थ्य विभाग में निदेशक पद से एक दिन पहले नौकरी छोड़ने वाले डॉ. कृष्ण कुमार को टिकट दिया है। होडल से हरिंदर सिंह रामरतन को मैदान में उतारा है।
नाराज जाटों के 3 चेहरे, OBC पर फोकस करते हुए 3 उम्मीदवार उतारे दूसरी लिस्ट में जाट और OBC समाज से 3-3 कैंडिडेट उतारे गए हैं। लोकसभा चुनाव में ओबीसी बड़ा मुद्दा बना हुआ था। जाट पहले से ही बीजेपी से नाराज थे। ऐसे में दोनों लिस्ट में सबसे ज्यादा उम्मीदवार इन दोनों ही समाज से उतारे गए हैं। जाट वर्ग से राई से कृष्णा गहलावत, बरोदा से प्रदीप सांगवान और जुलाना से योगेश बैरागी को टिकट दिया है। वहीं ओबीसी वर्ग से पवन सैनी, पूर्व मंत्री ओमप्रकाश यादव को दोबारा मौका दिया गया। पुंडरी से सतपाल जांबा को टिकट दिया है।
पंजाबी वोट बैंक, इनकार करने पर भी ग्रोवर को टिकट दिया पंजाबी वोटरों के लिहाज से मनीष ग्रोवर, अमीर चंद मेहता, धनेश अदलखा को उतारा गया हैं। इनमें पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर को रोहतक से हार के बाद भी मौका दिया गया। ग्रोवर पहले चुनाव लड़ने से इनकार कर रहे थे।
पंजाबी वोट बैंक वाली सीट पर ब्राह्मण चेहरा बीजेपी के परंपरागत वोट बैंक कहे जाने वाले ब्राह्मणों को दूसरी लिस्ट में भी साधने की कोशिश की गई। पिहोवा सीट पर कवलजीत सिंह का पाकिस्तानी आर्मी के साथ फोटो वायरल होने के बाद यहां ब्राह्मण चेहरे के तौर पर जयभगवान शर्मा को टिकट दिया है। पिछली बार यहां पर संदीप सिंह को उतारा था। खेल मंत्री बनने के बाद महिला कोच से विवाद के चलते उनका टिकट काटा गया।
पिहोवा से पहले घोषित उम्मीदवार कवलजीत अजराना की पाकिस्तानी आर्मी के साथ खुशी मनाते ही यह तस्वीरें वायरल हुई थीं।
नूंह से मुस्लिम नेता का टिकट काटा, हिंदू नेता उतारा मुस्लिम समुदाय का एक टिकट इस बार भाजपा ने काट दिया। फिरोजपुर झिरका से नसीम अहमद और पुन्हाना से ऐजाज खान को टिकट दिया, लेकिन नूंह से जाकिर हुसैन का टिकट काट दिया। 2023 में नूंह हिंसा के बाद नूंह की सीट से भाजपा ने हिंदू उम्मीदवार संजय सिंह को उतारा है।
पंजाब से सटी सीटें, सिख-पंजाबी को टिकट डबवाली में सिख और ऐलनाबाद में पंजाबी चेहरा उतारा है। यह दोनों सीटें पंजाब से सटी हुई हैं। जहां ज्यादातर पंजाबी और सिख वोट बैंक है। इसके जरिए भाजपा ने उस वोट बैंक को साधने की कोशिश की है।
जुलाना में जाट चेहरे विनेश के खिलाफ ओबीसी चेहरा उतारा जुलाना सीट पर रेसलर विनेश फोगाट के खिलाफ भी भाजपा ने सावधानी से जातीय कार्ड खेला है। विनेश जाट कम्युनिटी से हैं। उनके खिलाफ भाजपा ने ओबीसी वर्ग से कैप्टन योगेश बैरागी को टिकट दिया है। यहां विनेश के आने के बाद जाट एकतरफा होने के संकेत हैं, ऐसे में भाजपा बाकी जातियों को साधना चाहती है।
वहीं विनेश फोगाट के प्रति पेरिस ओलिंपिक में डिसक्वालिफिकेशन के बाद बने सहानुभूति के माहौल को कम करने की भी कोशिश की है। दरअसल, योगेश बैरागी भी एयर इंडिया के कैप्टन रहते कोरोना काल में लोगों की जान बचाने के लिए काम किया है।
क्षेत्रीय समीकरण को ऐसे साधा
1. मजबूत वोट बैंक वाले जीटी बेल्ट में ज्यादा नए चेहरे उतारे भाजपा का कोर वोट बैंक शहरी माना जाता है। हरियाणा में सोनीपत से लेकर अंबाला तक जीटी रोड बेल्ट की करीब 30 सीटें हैं। दूसरी लिस्ट में यहां 4 नए चेहरे और एक पुराने चेहरे को फिर से शामिल किया हैं। इस बेल्ट में फिर से संगठन और RSS के फीडबैक के साथ केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर की पैरवी काम कर गई। यहां भाजपा ने एंटी इनकंबेंसी से बचने की कोशिश की है।
2. दक्षिणी हरियाणा-अहीरवाल बेल्ट पर ज्यादा टिकट काटे भाजपा ने इस बार दक्षिणी हरियाणा की 23 सीटों पर ज्यादा फोकस किया है। दूसरी लिस्ट में भी यहां से सबसे ज्यादा पांच विधायकों का टिकट काट दिया गया। इनमें 2 कैबिनेट मंत्री तक शामिल हैं। जबकि एक राज्यमंत्री को नूंह में शिफ्ट कर दिया गया। यहां की सिर्फ एक सीट महेंद्रगढ़ को होल्ड पर रखा गया है। जब 2014 में भाजपा यहां से 11 सीटें जीती थी तो पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी। 2019 में भाजपा यहां सिर्फ 8 सीटें ही जीत पाई तो सरकार बहुमत के 46 के आंकड़े से दूर 40 पर ही रह गई थी।
RSS से जुड़े 5 चेहरों को टिकट दिया दूसरी लिस्ट में टिकट बंटवारे को देखा जाए तो यहां राव इंद्रजीत सिंह को छोड़कर किसी व्यक्ति विशेष नेता तो तवज्जो देने की बजाय शीर्ष नेतृत्व ने संगठन और RSS के फीडबैक को तवज्जो दी है। उदाहरण के तौर पर डा. पवन सैनी और कृष्ण कुमार बेदी 2 ऐसे चेहरे हैं, जो संगठन के पुराने साथी के अलावा आरएसएस से जुड़े रहे हैं।
इसके अलावा होडल में हरिंद्र सिंह रामरतन और हथीन से मनोज रावत शामिल हैं। इसके अलावा पांचवा नाम धनेश अदलखा हैं। इन तीनों ही सीटों पर सिटिंग एमएलए का टिकट काटकर संगठन और आरएसएस से जुड़े नेता को टिकट दिया गया है।
पार्टी ने 2 बार प्राइवेट एजेंसी से इनका सर्वे कराया। 2 सीटों पर सर्वे रिपोर्ट में कुछ गड़बड़ भी दिखी, लेकिन आरएसएस के फीडबैक में पॉजिटिव पाए जाने पर नए चेहरे होने के बावजूद उन्हें टिकट दे दिया।
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