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नई दिल्ली2 घंटे पहले
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P-8I एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, दक्षिण कोरिया और जर्मनी में भी होता है।
अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी बोइंग इंडियन नेवी के एयरक्राफ्ट बेड़े को अब भारत में ओवरहालिंग सर्विस देगी। इसके लिए भारत की AI इंजीनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड (AIESL) के साथ समझौता हुआ है। कंपनी, नेवी के बोइंग P-8I एयरक्राफ्ट के लिए सर्विस देगी। यह पनडुब्बीरोधी वॉर एयरक्राफ्ट है, जो लंबी दूरी तक समुद्र में निगरानी रखने के काम आता है।
बोइंग इंडिया ने मंगलवार को बताया कि समझौते के तहत तमिलनाडु में नेवी बेस INS राजाली में P-8I के लैंडिंग गियर का ओवरहाल किया गया। यह भारत में पहली बार हुआ है। इससे जटिल मेंटिनेंस, रिपेयर और ओवरहाल (MRO) सर्विस में भारत की स्वदेशी क्षमताएं बढ़ने का पता चलता है।
तस्वीर पेट्रोल और रीकॉन्ससेंस एयरक्राफ्ट की दूसरी स्क्वाड्रन के INS हंसा पर तैनात होने की है। तब 2 नए P-8I तैनात हुए थे। 4 एयरक्राफ्ट पहले से तैनात थे। इसमें P-8I दिख रहा है।
बोइंग इंडिया के BIRDS हब प्रोग्राम के तहत हुआ समझौता
बोइंग के इंडिया और साउथ एशिया प्रेसिडेंट सलिल गुप्ते ने कहा- AIESL के साथ साझेदारी से हम भारत की MRO क्षमताएं बढ़ाने में मदद जारी रखेंगे। यह रिपेयरिंग के समय और एयरक्राफ्ट के डाउनटाइम को कम करने के लिए जरूरी है। वहीं, AIESL के CEO शरद अग्रवाल ने कहा कि यह MRO सर्विस का रीजनल सेंटर बनने की भारत की महत्वाकांक्षा की ओर एक अहम कदम है।
यह साझेदारी बोइंग इंडिया रिपेयर डेवलपमेंट एंड सस्टेनमेंट (BIRDS) हब प्रोग्राम की नई पहल है। BIRDS हब सप्लायर्स का लोकल नेटवर्क है, जो सिक्योरिटी और कॉमर्शियल एयरक्राफ्ट के लिए मजबूत MRO इकोसिस्टम बनाने के लिए काम करता है। बता दें कि P-8I एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, दक्षिण कोरिया और जर्मनी में भी होता है।
इंडियन नेवी के पास 12 P-8I एयरक्राफ्ट, 10 और चाहती है
P-8I करीब 9 हजार किलोग्राम तक वजन उठा सकता है। इसमें 2 पायलट सहित कुल 9 लोग बैठ सकते हैं। इसकी लंबाई 129.5 फीट, विंगस्पैन 123.6 फीट और ऊंचाई 42.1 फीट है।
P-8I इंडियन नेवी का सबसे ताकतवर टोही एयरक्राफ्ट है। लंबी दूरी के इस सर्विलांस एयरक्राफ्ट में बोइंग ने इंडियन नेवी के लिए कुछ बदलाव भी किए थे। इंडियन नेवी इसकी पहली इंटरनेशनल कस्टमर थी। नेवी के पास इस तरह के 12 एयरक्राफ्ट हैं।
एयरक्राफ्ट AN/APY-10 रडार से लैस है। इसे अमेरिकी कंपनर रेथियॉन ने तैयार किया है। इसकी वजह से समंदर के नीचे की तस्वीरें भी ली जा सकती हैं। साथ ही, बादलों के बीच दुश्मन के हर टारगेट को निशाना बनाया जा सकता है। यह रडार टारगेट के साइज और स्पीड जैसी डीटेल्स भी दे सकता है।
फरवरी, 2022 में आखिरी एयरक्राफ्ट नेवी को मिला था। हिंद महासागर में चीनी पनडुब्बियों की बढ़ती एक्टिविटी के कारण नेवी इस तरह के 22 एयरक्राफ्ट चाहती है।
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