नई दिल्ली4 घंटे पहले
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अगर आपने कोरोना की बूस्टर डोज (प्रिकॉशनरी डोज) नहीं ली है तो सावधान हो जाएं। क्योंकि पिछले 8 महीने में देशभर के अस्पतालों में जितने लोग कोरोना की वजह से एडमिट हुए हैं, उनमें 90% ने बूस्टर डोज ली ही नहीं थी।
नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (NTAGI) के चेयरमैन डॉ. एनके अरोड़ा ने बुधवार को बताया कि यही वजह है कि पिछले दो दिनों में कोरोना मरीजों की संख्या अचानक से 33% के करीब बढ़ गई। सोमवार को जहां देशभर में 5,439 नए मरीज मिले, वहीं मंगलवार को यह आंकड़ा 7,231 पहुंच गया। इसलिए बूस्टर डोज लेना बेहद जरूरी है।
6-8 महीने में कम हो जाती हैं एंटीबॉडीज
अरोड़ा ने बताया कि वैक्सीन की एक खुराक लेने के 6 से 8 महीने बाद ही शरीर में एंटीबॉडीज घटने लगती हैं। इससे हमारा इम्यून सिस्टम वायरस के सामने कमजोर पड़ सकता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक एलिजिबल लोगों में से सिर्फ 20% ने ही वैक्सीन की तीसरी डोज ली है।
कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन का ट्रेंड लगभग पहले जैसा ही है।
कोरोना का संक्रमण अब भी कायम
अरोड़ा का कहना है कि कोरोना अब भी हमारे आसपास ही है। वायरस का ट्रांसमिशन भी वैसा ही देखने को मिल रहा है। हालांकि, अब हम इसका गंभीर रूप नहीं देख रहे हैं और मृत्यु दर पहले से काफी कम हो गई है। फिर भी हमें कोरोना प्रोटोकॉल फॉलो करने में ढील नहीं देनी चाहिए। सतर्कता बरतना अब भी जरूरी है।
18-59 साल के 12% को ही लगी प्रिकॉशनरी डोज
आंकड़ों के अनुसार, 18 से 59 साल के 77 करोड़ लोग बूस्टर डोज ले सकते हैं, लेकिन इनमें से केवल 12% ने ही यह खुराक ली है। वहीं, फ्रंटलाइन वर्कर्स, हेल्थकेयर वर्कर्स और 60 साल या उससे ज्यादा के 16.8 करोड़ लोग प्रिकॉशनरी डोज के लिए एलिजिबल हैं। इनमें से सिर्फ 35% को ही वैक्सीन की यह डोज लगी है। सरकार ने 15 जुलाई को कोविड वैक्सीनेशन अमृत महोत्सव भी लॉन्च किया, ताकि इस अभियान में तेजी आए।
केंद्र सरकार ने 15 जुलाई को कोविड वैक्सीनेशन अमृत महोत्सव लॉन्च किया था।
पिछले 24 घंटे में आए 7,231 मामले
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 7,231 मरीज मिले हैं और 45 लोगों की मौत हुई है। फिलहाल एक्टिव मामलों की संख्या 64,667 है। रिकवरी रेट 98.67% और पॉजिटिविटी रेट 2.05% पर पहुंच गया है। महामारी की शुरुआत से अब तक भारत में कुल 4. 44 करोड़ केस सामने आए हैं, जिनमें से 5.27 लाख लोगों की जान गई है।