गैंग ने ठगी के करीब 5 हजार करोड़ रुपए चीन व ताइवान भेजे ।
देश भर में ‘डिजिटल अरेस्ट’ रैकेट चलाने वाले नेटवर्क का पर्दाफाश कर अहमदाबाद पुलिस ने सोमवार को 17 लोगों को गिरफ्तार किया था। आरोपियों में 14 भारतीय और 4 ताइवानी नागरिक शामिल हैं। इनसे पूछताछ में कई खुलासे हुए हैं। गैंग ने ठगी के करीब 5 हजार करोड़ रुपए
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गैंग ठगी के लिए गेमिंग ऐप, शेयर बाजार इन्वेस्टमेंट और डिजिटल अरेस्ट जैसी तरकीबें अपनाता है। आरोपियों में 4 ताइवानी नागरिक हैं, बाकी 13 अहमदाबाद-वडोदरा सहित गुजरात के हैं। देश में इस गैंग के पर करीब 450 केस दर्ज हैं।
बिना ओटीपी के ही बैंक खातों से निकाल लेते थे पैसा क्राइम ब्रांच की जांच में खुलासा हुआ है कि पूरे कांड के मास्टरमाइंड 4 ताइवानी नागरिक हैं। ये आरोपी ताइवान में बैठकर बिना ओटीपी के ही बैंक खातों से पैसे निकाल लेते थे। आरोपियों के पास से एक पीपीटी भी बरामद हुई है, जिसमें बताया गया है कि काम कैसे करना है। जांच में यह भी पता चला है कि दक्षिण एशियाई देश में ऐसे 50 से ज्यादा गिरोह सक्रिय हैं, जो अलग-अलग साइबर क्राइम को अंजाम दे रहे हैं।
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक देशभर में इस गैंग के खिलाफ 450 केस दर्ज हैं।
ताइवानी नागरिकों को इस तरह किया गिरफ्तार हाल ही में अहमदाबाद के एक वरिष्ठ नागरिक से डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर 80 लाख की ठगी की गई थी। अहमदाबाद क्राइम ब्रांच में मामला दर्ज किया गया था। इस अपराध में साइबर क्राइम ने सबसे पहले तकनीकी विश्लेषण के आधार पर गुजरात समेत देश के अलग-अलग राज्यों से कुल 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया।
आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस उनके सोशल मीडिया अकाउंट और कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म के आधार पर ताइवानी आरोपियों तक पहुंच गई। लेकिन ताइवानी आरोपियों को गिरफ्तार करने जाना पुलिस के लिए मुश्किल हो गया था। इसी बीच को पता चला कि ताइवान से पूरा रैकेट चलाने वाले चारों आरोपी भारत आने वाले हैं। इसीलिए शांतिपूर्वक पुलिस उनका इंतजार कर रही थी। जब ताइवान से दो आरोपी दिल्ली और दो आरोपी बेंगलुरु आए तो पुलिस ने चारों को एक साथ गिरफ्तार कर लिया।
ताइवान-चीन के माफिया गुजरात के लोगों से ठगी करने के लिए नौकरी का जाल बिछाते थे।
दिल्ली के ताज होटल में ठहरे थे आरोपी दिल्ली के ताज होटल में पुलिस ने आरोपियों से दूरी बनाए रखी, क्योंकि पुलिस को इनके पास से पुख्ता सबूत चाहिए थी। होटल में जैसे ही दोनों आरोपियों ने लैपटॉप ऑन किया, पुलिस ने अरेस्ट कर लिया। पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद आरोपी कहता रहा कि वह यहां कारोबार के सिलसिले में आया था। आरोपी विदेशी था। इसलिए पुलिस ने उसे विश्वास में लिया और सावधानी से गिरफ्तार कर गुजरात ले आई।
ताइवानी आरोपियों ने तैयार की थी खास पीपीटी आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद जब पुलिस द्वारा उनसे पूछताछ की जा रही थी तो पता चला कि ताइवानी आरोपियों ने एक पीपीटी तैयार की थी। इस पीपीटी में भारत में एजेंट बनाने से लेकर सिम कार्ड, बैंक खाते और करंसी को क्रिप्टो करेंसी में बदलने की सारी डिटेल तैयार कर रखी थी। पूरा रैकेट ताइवान से संचालित किया जा रहा था।
एप्लीकेशन से मोबाइल कर लेते थे हैक आरोपियों ने एंड्रॉइड मोबाइल को रूट करके उसमें एक एप्लिकेशन इंस्टॉल किया गया था। इस एप्लीकेशन के जरिए बिना ओटीपी के बैंक खाते से पैसे निकाल लेते थे। जिस व्यक्ति का बैंक खाता होता था, उसके मोबाइल में इस एप्लीकेशन को इंस्टॉल करवाकर उसके मोबाइल को हैक कर लेते थे। इससे बिना ओटीपी आए ही व्यक्ति की जानकारी के बिना बैंक से पैसे निकाल लेते थे।
दक्षिण एशियाई देशों में 50 से ज्यादा गैंग सक्रिय अहमदाबाद साइबर क्राइम ने फिलहाल सिर्फ एक गैंग को पकड़ा है। लेकिन जांच के दौरान पता चला कि दक्षिण एशियाई देशों में 50 से ज्यादा ऐसे गिरोह सक्रिय हैं. जो इस तरह अलग-अलग तरह के साइबर क्राइम के जरिए लोगों से लाखों-करोड़ों रुपयों की ठगी कर रहे हैं। आरोपी डिजिटल गिरफ्तारी के अलावा गेमिंग और निवेश के बहाने भी ठगी कर रहे थे।
कुछ भारतीयों को दक्षिण एशियाई देशों में भी भेजा भारत में अपना नेटवर्क फैलाने के लिए आरोपियों को भारतीय नागरिकों की जरूरत थी। इसके लिए कई शहरों में कॉल सेंटर खोलकर आरोपियों की भर्ती करते थे। वहीं, कुछ भारतीय नागरिकों को दक्षिण एशियाई देशों में नौकरी के बहाने बुलाया गया था। जानकारी मिली है कि कई भारतीय युवकों को बहुत कम वेतन में कंपनियों में नौकरी करने के लिए भी मजबूर किया गया।