पहली बार 4 संसदीय पैनल में 9 महिलाएं: 2 समितियों में अध्यक्ष का पद संभाल रहीं; हर समिति में 20-30% वूमेन रिप्रेजेंटेशन

नई दिल्ली39 मिनट पहलेलेखक: मुकेश कौशिक

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विदेश मामलों की कमेटी की अध्यक्षता कांग्रेस के शशि थरूर कर रहे। - Dainik Bhaskar

विदेश मामलों की कमेटी की अध्यक्षता कांग्रेस के शशि थरूर कर रहे।

मिनी संसद के रूप में अहम भूमिका निभाने वाली संसदीय समितियों में इस बार महिला सदस्यों का बोलबाला है। 4 संसदीय पैनल ऐसे हैं, जिनमें 9 महिलाएं हैं। 4 ऐसे हैं, जिनमें 5-7 महिलाएं और पांच ऐसे हैं, जिनमें 1-2 महिला सदस्य हैं।

दो समितियों की अध्यक्षता कद्दावर महिला सदस्य कर रही हैं। तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन कॉमर्स और द्रमुक की कनीमोझी करुणानिधि उपभोक्ता मामलों की कमेटी की अध्यक्षता कर रही हैं। हर समिति में 20-30% महिला प्रतिनिधित्व है। बता दें कि महिलाओें को आगे लाने की यह पहल सभी दलों की ओर से ही है। संसदीय समितियों में सदस्यों के नाम विभिन्न पार्टियां ही देती हैं।

महिला-बाल मामले की समिति में शिक्षा पूर्व शिक्षा मंत्री

शिक्षा, महिला, बाल एवं युवा मामले की समिति, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण समिति, सामाजिक न्याय समिति और आवास एवं शहरी मामले की समिति में 9 महिलाएं हैं। इनमें से शिक्षा, महिला, बाल एवं युवा मामले की समिति में पूर्व शिक्षा मंत्री पुरंदेश्वरी देवी शामिल हैं। वहीं, आवास एवं शहरी मामले की समिति में मीसा भारती और लवली आनंद शामिल हैं।

विदेश मामलों की कमेटी की अध्यक्षता कांग्रेस के शशि थरूर कर रहे। इसमें भाजपा की बांसुरी स्वराज व तृणमूल की सदस्य और पत्रकार सागरिका घोष समेत 6 महिलाएं शामिल की गई हैं।

कंगना रनौत संचार एवं सूचना टेक्नोलॉजी कमेटी में कंगना रनौत संचार एवं सूचना टेक्नोलॉजी कमेटी में हैं। निशिकांत दुबे इस कमेटी की अगुवाई कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा भी इसी कमेटी में हैं, पर निशिकांत से उनकी नहीं बनती। ऐसे में पार्टी चाहती है महुआ को इससे हटाया जाए। इस कमेटी में कंगना रनौत व शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी भी हैं। जया बच्चन अब लेबर कमेटी में चली गई हैं।

भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों से जुड़ी कुल 24 समितियां हैं। ये कमेटी दो प्रकार की होती हैं – पहली- स्टैंडिंग कमेटी, दूसरी- एड हॉक कमेटी। एड हॉक कमेटी को कुछ विशेष कामकाज के लिए बनाया जाता है। एक बार जब वो काम पूरा हो जाता है तो कमेटी खत्म कर दी जाती है।

इनमें से हर समिति में 31 मेंबर्स होते हैं, जिसमें से 21 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से चुने जाते हैं। इन सभी कमेटी का कार्यकाल एक साल से अधिक नहीं होता है। समिति के सदस्यों को जिन्हें सांसदों के पैनल के रूप में भी जाना जाता है। इन्हें सदन के अध्यक्ष की तरफ से नॉमिनेट किया जाता है। ये अध्यक्ष के निर्देश के अनुसार काम करते हैं।

अलग-अलग समितियों का अलग-अलग कार्यकाल संसद में कुल 50 संसदीय कमेटी होती हैं। इनमें 3 फाइनेंशियल कमेटीज, 24 डिपार्टमेंटल कमेटीज, 10 स्टैडिंग कमेटीज और 3 एडहॉक कमेटीज का कार्यकाल 1 साल का होता है। 4 एडहॉक कमेटीज और 1 स्टैडिंग कमेटी का कार्यकाल 5 साल का होता है। वहीं, 5 अन्य स्टैडिंग कमेटीज का कार्यकाल फिक्स नहीं होता।

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