पद्मविभूषण प्रो. बीबी लाल का निधन: सबसे पहले दिया था अयोध्या में राम मंदिर का पुरातात्विक प्रमाण, पीएम मोदी ने जताया शोक

वाराणसी3 मिनट पहले

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भारत के प्रख्यात आर्कियोलॉजिस्ट पद्मविभूषण प्रोफेसर बीबी लाल के निधन से काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पुराविद काफी स्तब्ध हैं। उनकी उम्र 101 साल की थी। वह बहुत दिनों से बीमार चल रहे थे। शनिवार को उन्होंने दिल्ली स्थित एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। इनका जन्म झांसी जिला के बैडोरा गांव में 02 मई 1921 को हुआ था। उन्होंने भारतीय उन्नत अध्ययन संस्थान, शिमला के निदेशक के रूप में सेवा शुरू की।

पीएम मोदी ने पद्मविभूषण प्रोफेसर बीबी लाल के निधन पर शोक जताया है। पीएम ने ट्वीट किया, ‘बी बी लाल एक उत्कृष्ट व्यक्तित्व थे। संस्कृति और पुरातत्व में उनका योगदान अद्वितीय है। उन्हें एक महान बुद्धिजीवी के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने हमारे समृद्ध अतीत के साथ हमारे जुड़ाव को गहरा किया। उनके निधन से आहत हूं। मेरे विचार उनके परिवार और दोस्तों के साथ हैं। ओम शांति।’

ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व एडिशनल डायरेक्टर जनरल, वाराणसी के बीआर मणि, BHU के पुराविद प्रोफेसर अशोक सिंह और प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह, जीन वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे और राखीगढ़ी उत्खनन के हेड प्रो. वसंत शिंदे ने दुख जताया है। कहा कि प्रोफेसर लाल ऑर्कियोलॉजी के भीष्म पितामह थे। आज BHU उनका ऋणि है, वो हमारे गुरु हैं। आज अयोध्या में राम मंदिर तेजी से तैयार हो रहा है। मंदिर वहां पर क्यों बने, इसका आधार तैयार करने में प्रो. लाल की भूमिका काफी बड़ी है।

साल 2015 में ज्ञान-प्रवाह कार्यक्रम में हिस्सा लेने BHU आए प्रो. बीबी लाल। वह सोफे पर बैठे हैं।

साल 2015 में ज्ञान-प्रवाह कार्यक्रम में हिस्सा लेने BHU आए प्रो. बीबी लाल। वह सोफे पर बैठे हैं।

1970 में अयोध्या की खुदाई कराया था
प्रो. बीबी लाल के शिष्य प्रो. अशोक सिंह ने कहा, ”बीएचयू के पुराविद प्रोफेसर एके नारायण ने 60 के दशक में पहली बार अयोध्या में पुरातात्विक उत्खनन का काम शुरू कराया। BHU के इस प्रोजेक्ट को किसी वजह से आगे नहीं बढ़ा सका, तो उन्होंने खुदाई का काम अपने हाथ में लिया। जब वहां से प्राचीन वस्तुएं मिलीं, तो उन्होंने BHU को पुरातात्विक वस्तुओं के बारे जानकारी दी थी। इसी पुरातात्विक साक्ष्य के आधार पर कोर्ट में यह सिद्ध हो सका कि अयोध्या में मंदिर था।”

साल 1975 में अयोध्या में जब प्रो. बीबी लाल ने खुदाई की तो इस तरह मंदिर के साक्ष्य मिले थे।

साल 1975 में अयोध्या में जब प्रो. बीबी लाल ने खुदाई की तो इस तरह मंदिर के साक्ष्य मिले थे।

अयोध्या में खुदाई के दौरान मिला मंदिर का स्तंभ। इस पर देवों की आकृति खुदी हुई है।

अयोध्या में खुदाई के दौरान मिला मंदिर का स्तंभ। इस पर देवों की आकृति खुदी हुई है।

राजघाट से मिली पुरातात्विक वस्तुओं को 3500 साल पुराना बताया था
BHU में 2015 ज्ञान-प्रवाह कार्यक्रम में आए थे। उस समय राजघाट पुरातात्विक स्थली पर खुदाई चल रही थी। उसमें से जो वस्तुएं मिलीं थी, उसी का अवलोकन करने बनारस आए। BHU के प्रोफेसरों के साथ उन्होंने स्टडी कर बताया था कि राजघाट में मिली वस्तुओं का इतिहास 1500 ईसा पूर्व यानी कि आज से 3500 साल पुराना है। इसके पहले लोग ईसा पूर्व की मान्यता थी। साल 1998 में आए थे। एलडी गेस्ट हाउस में ठहरे थे।

यहां पर कराया उत्खनन और सर्वे

प्रो. लाल ने हस्तिनापुर (उप्र), शिशुपालगढ़ (ओडिशा), पुराना किला (दिल्ली), कालिबंगन (राजस्थान) सहित कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों की खुदाई की। 1975-76 के बाद से, प्रो. लाल ने रामायण के पुरातात्विक स्थलों के तहत अयोध्या, भारद्वाज आश्रम, श्रंगवेरपुरा, नंदीग्राम और चित्रकूट जैसे स्थलों की जांच की।

21 साल बाद मिला विभूषण

  • जन्म 2 मई, 1921, झांसी, बाद में दिल्ली शिफ्ट हो गए।
  • साल 2000 में उन्हें पद्मभूषण और 2021 में पद्मविभूषण से नवाजे गए।
  • सिंधु घाटी, कालीबंगन, महाभारत और रामायण साइट पर उन्होंने काफी रिसर्च और सर्वे किया।
  • इन पर करीब 20 किताबें और 150 से ज्यादा रिसर्च पेपर पब्लिश हुई है।
  • 1968 से 1972 तक भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण विभाग के डायरेक्टर रहे।
  • यूनेस्को की समितियों में भी शामिल रहे हैं।

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