झारखंड में लगभग 44 साल बाद उत्पाद सिपाही के पद के लिए भर्तियां शुरू हुई। इस दौड़ ने 12 लोगों की जान ले ली।
सीन 1 – पलामू प्रमंडल का सबसे बड़ा अस्पताल मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल, तारीख 29 अगस्त 2024। समय दोपहर के लगभग 12 बजे का वक्त। उत्पाद सिपाही की दौड़ में शामिल युवा अस्पताल की फर्श पर पड़े हैं। ना बेहतर इलाज की सुविधा है, ना कोई डॉक्टर। जिसकी हालत
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सीन 2 – पलामू में चियांकी हवाई अड्डा सात सेंटर में से एक, जहां उत्पाद सिपाही की दौड़ हो रही है। अरुण कुमार उत्पाद सिपाही की दौड़ में शामिल हुए। दिन 28 अगस्त और समय दोपहर के लगभग 1 बजे का वक्त… अरुण ने छह राउंड की दौड़ पूरी कर ली, लेकिन अचानक उनकी तबीयत खराब होने लगी और वो ठहर गए। एक अधिकारी ने कहा, आगे तक जाना है दौड़ पूरी करो। अरुण की तबीयत इतनी खराब हो रही है कि वो जमीन पर लेट गए और मदद के लिए चिल्ला लगे…
झारखंड में लगभग 44 साल बाद उत्पाद सिपाही के पद के लिए भर्तियां शुरू हुई थी। इस दौड़ ने 12 लोगों की जान ले ली। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मौत के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस पर रोक लगा दी। एडीजी आरके मलिक ने आज बताया कि 22 अगस्त से शुरू हुई उत्पाद सिपाही बहाली में 12 अभ्यर्थियों की मौत के बाद इसे स्थगित किया गया था। जिसके बाद इस प्रक्रिया को लेकर मुख्यमंत्री ने समीक्षा की। अब फिर से प्रक्रिया शुरू होगी। 10 सितंबर से दौड़ शुरू होगी ।
मौत की असल वजह के लिए पूरी रिपोर्ट का इंतजार
उत्पाद सिपाही की दौड़ में मौत की शुरुआत जहां से हुई अब उस जगह को बाहर निकाल दिया गया है। पलामू के शेष अभ्यर्थियों को 19 और 20 सितंबर को रांची और अन्य सेंटर में आना होगा। उत्पाद सिपाही की दौड़ में अब तक 1 लाख 87 हजार 400 लोगों ने हिस्सा लिया है। जिसमें 1 लाख 17 हजार छात्र सफल हुए है। अभी 1 लाख 14 हजार बचे हुए है।जिनके लिए दौड़ 10 सितंबर से शुरू होगी।
मौत की वजह एडीजी आरके मलिक ने हार्ट अटैक को बताया। उन्होंने विस्तार से टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कहा, सभी मामले में रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ साफ पाएगा। इसका साफ अर्थ है कि मौत कैसे हुई इस पर अब भी एक बड़ा सवालिया निशान है। अभ्यर्थियों की दौड़ से पहले बीपी की जांच होगी। जिन्हें लगे कि वह स्वस्थ्य नहीं है वो जांच करा सकते है।
मौत की वजह…
परिजनों ने कहा- स्वस्थ था हमारा बच्चा, तबीयत खराब होती तो मरने नहीं जाता
प्रशासन मौत की वजह के सवाल पर चुप है। हमने इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए मेडिकल एक्सपर्ट और परिजनों से बात की। पलामू में चियांकी हवाई अड्डा में दौड़ने वाले अरुण को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने मौत से पहले एक वीडियो जारी कर बताया कि उनके साथ आखिर हुआ क्या था। उन्होंने किसी भी तरह की दवाई लेने के आरोप से भी इनकार किया था। साथ ही बताया, अधिकारियों ने कहा कि तुम्हें मेडल दिया जाएगा, तुम जितना दौड़े उतना कोई नहीं दौड़ा। लेकिन, इस बयान के अगले ही दिन उनकी मौत हो गई।
गिरिडीह के रहने वाले सूरज कुमार भी दौड़ में शामिल हुए थे। वहां उसकी भी हालत अरुण से मिलती जुलती थी। परिजनों ने बताया कि उनका बच्चा पूरी तरह स्वस्थ था, तभी इस दौड़ में शामिल होने गया था। अगर कोई बिमारी होती तो वहां मरने क्यों जाता। यह पूरी तरह से प्रशासन की लापरवाही की वजह से मौत है।
झारखंड में उत्पाद सिपाही भर्ती के लिए हुई शारीरिक दक्षता परीक्षा में 29 अगस्त को दौड़ के दौरान मरने वालों में एक कैंडिडेट गया के रहने वाले अमरेश यादव भी थे। गांव में अमरेश के साथ दौड़ की प्रैक्टिस करने वाले उसके दोस्त पार्थिव पटेल का कहना है कि वह कह कर गया था कि इस बार हर हाल में सेलेक्ट होकर ही घर लौटूंगा पर उसकी मौत की सूचना आई। अमरेश के दोस्त पार्थिव पटेल ने कहा कि वो दौड़ में सबसे बेहतर था। वह 1600 मीटर की दौड़ 5 मिनट 15 सेकेंड में पूरा कर लेता था। वह पूरी तरह से फिजिकली फिट था।
मृतक के पिता धनंजय ने बताया कि ‘दौड़ में शामिल कुछ युवकों ने बताया कि अमरेश का फिनिशिंग राउंड के अंतिम कुछ क्षण में पैर लड़खड़ाया और वह गिर पड़ा। यह घटना 12 बजे के आसपास की है। उसे उठा कर ग्राउंड के किनारे कर दिया गया। उसे देखने तक कोई नहीं गया। वह जिंदगी व मौत के बीच जूझता रहा, तड़पता रहा।’
उन्होंने बताया कि जिस सरकारी अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया था, वहां के लोगों से भी बात हुई थी। लोगों ने उन्हें बताया था कि अमरेश को अस्पताल में शाम साढ़े 6 बजे भर्ती कराया गया था और उसकी मौत साढ़े सात बजे हो गई।
एक्सपर्ट क्या कहते हैं
छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. अत्रि गंगोपाध्याय ( Pulmonologist ) ने कहा कि कोरोना संक्रमण के बाद इस तरह के मौत के मामले बढ़े हैं। अब भी इसकी ठोस वजह सामने नहीं आई है। जांच के बाद ही कुछ साफ हो पाएगा कि यह क्या है? लोगों को अचानक हेवी एक्सरसाइज से बचना चाहिए।
एस्ट्रॉयड
इस दौड़ में शामिल कई युवाओं ने दबे जुबा ऊर्जा वर्धक दवा लेने की बात कही है। कुछ डॉक्टर भी ऑफ द रिकार्ड एस्ट्रॉयड लेने की बात कह रहे हैं, लेकिन आधिकारिक तौर पर कोई सामने नहीं आया। रिम्स में हो रही विस्तृत जांच रिपोर्ट इन सारे सवालों के जवाब लेकर आएगी। मौत की वजह हार्ट अटैक है, लेकिन हार्ट अटैक के पीछे क्या वजह रही है, इसकी जांच अब भी चल रही है।
राजनीति तेज
उत्पाद सिपाहियों की मौत पर राज्य में राजनीति तेज है। भाजपा ने इस दौड़ में मारे गए लोगों के परिजनों को एक-एक लाख देने का ऐलान किया है। वहीं, सीएम हेमंत सोरेन ने इसे कोरोना के बाद की वैक्सीन से इसे जोड़ दिया है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की। परिजनों को नौकरी देने के साथ ही सरकार से 50 लाख रुपए मुआवजे की मांग भी की है।
दूसरी तरफ हेमंत सोरेन ने इस मौत के लिए कोरोना के बाद की वैक्सीन को जिम्मेदार ठहराते हुए यह कह दिया कि मौत के पीछे की वजह वो वैक्सीन है, जिसे भाजपा की सरकार ने देश में सभी को दिया है। वो वैक्सीन दूसरे देशों ने बैन कर दी थी जो भारत में लोगों को दे दी गई।
गर्मी ज्यादा होने के कारण 1 घंटे में 10 किमी दौड़ने की कोशिश में कई कैंडिडेट्स बेहोश हो गए।
फिर शुरू हो रही है दौड़
10 सितंबर से एक बार फिर दौड़ शुरू हो रही है। प्रशासन ने पिछली बार की कमियों से सबक लिया या नहीं ? इस सवाल का जवाब मैदान में मिलेगा, लेकिन मौत की वजह अब तक साफ नहीं है। ऐसे में एक बार फिर शुरू होने वाली दौड़ पर बड़ा सवाल है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद इस मामले की समीक्षा की है। ऐसे में इस बार केंद्र पर मेडिकल सुविधाओं की उपस्थिति को अनिवार्य किया गया है। साथ ही दौड़ने से पहले असहज महसूस करने वाले अभ्यर्थियों की मेडिकल जांच होगी।
583 पदों के लिए पांच लाख से अधिक आवेदन
उत्पाद सिपाही के 583 पदों पर नियुक्ति के लिए 22 अगस्त से शारीरिक दक्षता परीक्षा शुरू हुई है। वहीं पलामू में यह 27 अगस्त से शुरू हुई थी। इस परीक्षा के लिए 5,13,832 आवेदन आए हैं। इसके लिए राज्य में सात चयन पर्षद बनया गया है। इसके तहत रोज सात हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों की जांच की जा रही है।