केंद्र सरकार को डिजिटल फॉरेंसिक सर्विस प्रोवाइडर्स ​​​​​​​की तलाश: अल्ट्रा मॉर्डन मोबाइल हैंडसैट-लैपटॉप और क्लाउड का डेटा क्रैक नहीं कर पा रहीं जांच एजेंसियां

नई दिल्ली51 मिनट पहलेलेखक: मुकेश कौशिक

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केंद्र सरकार डिजिटल फॉरेंसिक सर्विस प्रोवाइडर्स तलाश रही है। ऐसे विशेषज्ञों को ढूंढा जा रहा है जो पासवर्ड बाइपास कर मोबाइल का डेटा पाने में सक्षम हों। सा​थ ही वॉट्सऐप-टेलीग्राम जैसी मैसेज सर्विस के एन्क्रिप्टेड मैसेज रीड कर सकें।

ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि अल्ट्रा मॉर्डन मोबाइल हैंडसैट, लैपटॉप और क्लाउड में छिपा डेटा क्रैक करना और मैसेज के एन्क्रिप्शन समझना जांच एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।

इन सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए कंपटिशन कमीशन ऑफ इंडिया के जरिए टेंडर निकाला गया है। मांग की गई है कि डिजिटल फॉरेंसिक सर्विस प्रोवाइडर के पास एक्सपर्ट्स की बड़ी टीम होनी चाहिए। जिसमें कम से कम 15 प्रोफेशनल्स हों।

विदेशी कंपनियों की बात करें तो इजराइल की सेलब्राइट मोबाइल पिन, पासवर्ड बाइपास कर सकती है। रूस की कंपनी ऑक्सीजेन का सॉफ्टवेयर डिटेक्टिव भी एन्क्रिप्शन तोड़ सकता है।

क्या होगा इन डिजिटल फॉरेंसिक सर्विस प्रोवाइडर्स का काम

  • वित्तीय लेनदेन, प्रेजेंटेशन, विभिन्न पक्षों में डेटा आदान-प्रदान की जांच कर एनालिसिस करना।
  • डिलीट फाइलें फिर से क्रिएट करने और मोबाइल एप के टेक्स्ट मैसेज, वॉयस नोट्स, कॉल रिकॉर्ड्स और डाक्यूमेंट्स पढ़ने में कुशल हों। इन्हें भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के तहत काम करना होगा।

तीन नए कानूनों के बाद इनकी भूमिका अहम नए आपराधिक कानून के बाद डिजिटल सबूत अहम हैं। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में डिजिटल प्रमाण में- मैसेज, कॉल रिकाॅर्डिंग, ई-मेल, लैपटाॅप, कैमरा व अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हैं।

नए कानूनों पर विचार कर रही संसदीय समिति के विपक्षी सदस्यों ने मोबाइल और लैपटॉप जब्त करने पर एतराज किया था। उनका कहना था कि इनमें ऐसी निजी सूचनाएं होती हैं जिनका केस से सरोकार न होता। ऐसे में यह निजता का हनन है।

क्या है एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन? एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन एक कम्युनिकेशन सिस्टम है, जिसमें मैसेज भेजने वाले और मैसेज रिसीव करने वाले के अलावा कोई अन्य शामिल नहीं होता है। यहां तक कि कंपनी भी एंड-टु-एंड एन्क्रिप्शन में यूजर्स के मैसेज नहीं देख सकती है।

अगर वॉट्सऐप की बात करें तो वो एन्क्रिप्शन के लिए यूजर के मैसेज/डेटा को कॉम्प्लेक्स कंप्यूटर कोड में बदल देता है। इस मैसेज को वहीं डिक्रिप्ट कर सकता है जिसके पास सही एक्सेस-की होती है। कंपनी के पास भी यह एक्सेस की नहीं होती है।

वॉट्सऐप ने कहा था- दबाव बनाया तो भारत छोड़ देंगे, यूजर्स के मैसेज की जानकारी नहीं दे सकते मेटा के दो बड़े प्लेटफॉर्म वॉट्सऐप और फेसबुक ने नए संशोधित IT नियमों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। वॉट्सऐप ने कहा था कि अगर उसे मैसेजेस एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए मजबूर किया गया, तो वह भारत से चला जाएगा।

कंपनी ने कोर्ट में कहा था कि नए नियमों से यूजर की प्राइवेसी खतरे में आ सकती है। IT नियम 2021 एन्क्रिप्शन के साथ यूजर्स की गोपनीयता को कमजोर करता है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है।​​​​​​​ पूरी खबर पढ़ें…

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