नई दिल्ली7 मिनट पहले
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भारतीय स्टेट बैंक चुनावी बॉन्ड जारी करने वाला एकमात्र अधिकृत बैंक है।
इलेक्टोरल बॉन्ड की 30वीं किश्त को सरकार की मंजूरी:6 नवंबर से बिक्री शुरू होगी; सुप्रीम कोर्ट ने इनकी जरूरत पर ही सवाल उठाया है
सरकार ने राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए जारी होने वाले इलेक्टोरल बॉन्ड की 30वीं किश्त को मंजूरी दे दी है। इनकी बिक्री 2 जनवरी यानी आज से शुरू हो गई है, जो 11 जनवरी तक चलेगी।
वित्त मंत्रालय ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि ये बॉन्ड SBI की 29 शाखाओं में बेचे जाएंगे। इनमें बैंक की बेंगलुरु, लखनऊ, शिमला, देहरादून, कोलकाता, गुवाहाटी, चेन्नई, पटना, नई दिल्ली, चंडीगढ़, श्रीनगर, गांधीनगर, भोपाल, रायपुर और मुंबई शाखा शामिल हैं।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड की जरूरत पर ही सवाल उठाया है। 5 जजों की बेंच ने 4 याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है और चुनाव आयोग से सभी दलों की फंडिंग का ब्योरा मांगा है।
इलेक्टोरल बॉन्ड की 29वीं किश्त पांच राज्यों के चुनाव के पहले 4 नवंबर को जारी की गई थी। कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनियां इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीदकर किसी भी पार्टी को पैसा चंदा के रूप दे सकती हैं।
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुरक्षित
2 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम केस में फैसला सुरक्षित रख लिया। हालांकि, अगली सुनवाई की तारीख नहीं बताई गई। कोर्ट ने पार्टियों को मिली फंडिंग का डेटा नहीं रखने पर चुनाव आयोग से नाराजगी जताई। साथ ही आयोग से राजनीतिक दलों को 30 सितंबर तक इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिली रकम की जानकारी जल्द से जल्द देने का निर्देश दिया है। पढ़ें पूरी खबर…
सरकार ने कहा- जारी होने के 15 दिन में जमा कराने होंगे बॉन्ड
वित्त मंत्रालय के मुताबिक चुनावी बांड, जारी होने की तारीख से 15 दिन के लिए वैध होंगे। इस समय सीमा के खत्म होने के बाद बॉन्ड जमा किया जाएगा तो किसी भी राजनीतिक दल को कोई पेमेंट नहीं होगी।
मंत्रालय ने यह भी कहा, ‘किसी पात्र राजनीतिक दल का उसके खाते में जमा किया गया चुनावी बॉन्ड उसी दिन जमा किया जाएगा। इन्हें भारतीय नागरिक या देश में रजिस्टर्ड संस्थाएं खरीद सकती हैं। साथ ही रजिस्टर्ड राजनैतिक पार्टियां जिन्होंने पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में मतदान का कम से कम 1% वोट हासिल हुआ, वे चुनावी बॉन्ड से रकम पाने के काबिल हैं।’
चुनावी बॉन्ड क्या है?
2017 के बजट में उस वक्त के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चुनावी या इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को पेश किया था। 29 जनवरी 2018 को केंद्र सरकार ने इसे नोटिफाई किया। ये एक तरह का प्रोमिसरी नोट होता है, जिसे बैंक नोट भी कहते हैं। इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है।
अगर आप इसे खरीदना चाहते हैं तो आपको ये स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चुनी हुई ब्रांच में मिल जाएगा। इसे खरीदने वाला इस बॉन्ड को अपनी पसंद की पार्टी को डोनेट कर सकता है। बस वो पार्टी इसके लिए एलिजिबल होनी चाहिए।
जिस पार्टी को डोनेट कर रहे हैं वो एलिजिबल है, ये कैसे पता चलेगा?
बॉन्ड खरीदने वाला 1 हजार से लेकर 1 करोड़ रुपए तक का बॉन्ड खरीद सकता है। खरीदने वाले को बैंक को अपनी पूरी KYC डीटेल में देनी होती है। खरीदने वाला जिस पार्टी को ये बॉन्ड डोनेट करना चाहता है, उसे पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम 1% वोट मिला होना चाहिए। डोनर के बॉन्ड डोनेट करने के 15 दिन के अंदर इसे उस पार्टी को चुनाव आयोग से वैरिफाइड बैंक अकाउंट से कैश करवाना होता है।
इस पर विवाद क्यों…
2017 में अरुण जेटली ने इसे पेश करते वक्त दावा किया कि इससे राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग और चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। ब्लैक मनी पर अंकुश लगेगा। दूसरी ओर इसका विरोध करने वालों का कहना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान जाहिर नहीं की जाती है, इससे ये चुनावों में काले धन के इस्तेमाल का जरिया बन सकते हैं।
कुछ लोगों का आरोप है कि इस स्कीम को बड़े कॉर्पोरेट घरानों को ध्यान में रखकर लाया गया है। इससे ये घराने बिना पहचान उजागर हुए जितना मर्जी उतना चंदा राजनीतिक पार्टियों को दे सकते हैं।