आपके माता-पिता मुझे वोट न दें, तो खाना मत खाना: शिवसेना विधायक ने स्कूली बच्चों से अपील की; NCP ने कार्रवाई की मांग की

मुंबई8 घंटे पहले

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संतोष बांगड़ हिंगोली के जिला परिषद स्कूल का दौरा करने गए थे, जहां उन्होंने 10 साल से कम बच्चों से ये अपील की। - Dainik Bhaskar

संतोष बांगड़ हिंगोली के जिला परिषद स्कूल का दौरा करने गए थे, जहां उन्होंने 10 साल से कम बच्चों से ये अपील की।

महाराष्ट्र की रूलिंग पार्टी शिवसेना के विधायक संतोष बांगड़ ने स्कूली बच्चों से कहा है कि अगर आपके माता-पिता ने मुझे वोट नहीं दिया, तो आप दो दिन खाना मत खाना। कलामनुरी से विधायक बांगड़ हिंगोली जिले के जिला परिषद स्कूल का दौरा करने गए थे, जहां उन्होंने 10 साल से कम बच्चों से ये अपील की।

संतोष बांगड़ ने बच्चों को सिखाया कि अगर माता-पिता पूछते हैं कि खाना क्यों नहीं खा रहे हो, तो जवाब देना कि संतोष बांगड़ को वोट दो, तभी खाना खाएंगे। उन्होंने बच्चों से इस बात को कई बार दोहराने को भी कहा। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

बांगड़ का ये बयान ऐसे समय में आया है जब पिछले हफ्ते ही इलेक्शन कमीशन ने निर्देश जारी किया था कि चुनाव संबंधी गतिविधियों में बच्चों का इस्तेमाल न किया जाए। बांगड़ के ऐसे बयान के बाद कांग्रेस और शरद पवार की NCP ने उनके खिलाफ एक्शन लिए जाने की मांग की है।

संतोष बांगड़ महाराष्ट्र के कलामनुरी से शिवसेना (शिंदे गुट) विधायक हैं।

संतोष बांगड़ महाराष्ट्र के कलामनुरी से शिवसेना (शिंदे गुट) विधायक हैं।

क्लाइड कास्त्रो बोले- बांगड़ BJP से जुड़े हैं, इसलिए गलती करके भी बच जाते हैं
NCP शरदचंद्र पवार पार्टी के नेता क्लाइड कास्त्रो ने कहा कि बांगड़ ने जो बच्चों से कहा वह चुनाव आयोग के निर्देशों के खिलाफ जाता है, इसलिए बांगड़ के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। बांगड़ ने पहली बार ऐसी गलती नहीं की है, वे लगातार ऐसे काम करते आए हैं। लेकिन भाजपा से जुड़े होने के कारण हर बार वे बच जाते हैं। चुनाव आयोग को बिना किसी भेदभाव के उनके खिलाफ एक्शन लेना चाहिए।

चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार में बच्चों का इस्तेमाल न करने की सलाह दी थी
चुनाव आयोग ने 5 फरवरी को सभी राजनीतिक दलों को सलाह दी है कि चुनाव प्रचार अभियानों में बच्चों का इस्तेमाल किसी भी रूप में न करें। पार्टियों को भेजी गई एडवाइजरी में चुनाव पैनल ने पार्टियों और उम्मीदवारों से चुनावी प्रक्रिया के दौरान बच्चों से पोस्टर और पर्चे बांटने, नारेबाजी करने को लेकर जीरो टॉलरेंस जाहिर किया था। आयोग ने कहा कि राजनीतिक नेता और उम्मीदवार प्रचार के दौरान बच्चों को गोद में लेने और गाड़ियों में में न बैठाएं, न उनको रैली में शामिल करें।

बच्चों से कविता-गीत पढ़वाने और भाषण पर भी रोक रहेगी
चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा कि यह प्रतिबंध कविता, गाने, बोले गए शब्दों, राजनीतिक दल या उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल के अलावा किसी भी तरीके से राजनीतिक अभियान की झलक बनाने के लिए बच्चों के उपयोग पर भी लागू होगा।

हालांकि, किसी बच्चे के माता-पिता या अभिभावक राजनेता के करीबी हैं और वे अपने साथ बच्चे को ले जाते हैं तो इसे दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा, बशर्ते वे उनकी पार्टी के चुनाव प्रचार में शामिल न हों।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने राजनीतिक दलों से संसदीय चुनावों में लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में की भी अपील की है।

चुनाव में बच्चों के इस्तेमाल पर पोलिंग अफसर होंगे जिम्मेदार
आयोग ने सभी चुनाव अधिकारियों और मशीनरी को निर्देश दिया है कि वे चुनाव से जुड़ें किसी भी काम या गतिविधियों के दौरान बच्चों को शामिल करने से बचें। इसके लिए चाइल्ड लेबर से जुड़े सभी कानूनों का पालन किया जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो इसके लिए जिला निर्वाचन अधिकारी और रिटर्निंग अधिकारी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।

इनके अलावा लोकसभा क्षेत्रों में काम कर रही चुनावी मशीनरी पर भी इन प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर एक्शन लिया जाएगा।